जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा  ने 3 सरकारी कर्मचारियों को किया बर्खास्त, आतंकी संगठन के लिए कर रहे थे काम

Jammu Kashmir: उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंगलवार को 3 सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है, जो लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (HM) के लिए काम करते थे।

मनोज सिन्हा ने सक्रिय आतंकवादियों और उनके सहायक नेटवर्क, जिसमें ओवरग्राउंड वर्कर (OGW) और सरकारी संस्थानों में शामिल समर्थक शामिल हैं। दोनों को निशाना बनाकर आतंकवाद के बुनियादी ढांचे को कमजोर करने को प्राथमिकता दी है।

आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने का संकल्प

सुरक्षाबलों ने 2020 से 2024 के बीच जम्मू-कश्मीर में सैकड़ों आतंकवादियों को मार गिराया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2)(c) के तहत 75 से अधिक OGW/आतंकवादियों के सहयोगियों को सरकारी नौकरियों से बर्खास्त किया है। उन्होंने आतंकवाद और उनके सहायक ढांचों को जड़ से उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया है। साथ ही आतंकवादियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की है।

तीनों सहयोगियों को सरकारी नौकरियों से किया गया बर्खास्त

तीनों बर्खास्त कर्मचारी अब जेल में बंद हैं। इन तीनों की पहचान भी उजागर की गई है। इसमें मलिक इश्फाक नसीर है, जो कि पुलिस कांस्टेबल के पद पर था। दूसरा स्कूल शिक्षा विभाग में टीचर था, इसका नाम एजाज अहमद है। तीसरा श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में जूनियर असिस्टेंट के पद पर था, इसका नाम वसीम अहमद खान है।

सरकारी कर्मचारी आतंकी संगठनों को दे रहे थे सहायता

एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि उपराज्यपाल द्वारा बर्खास्त किए गए सरकारी कर्मचारी सक्रिय रूप से आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहे थे। आतंकवादियों को सुरक्षा बलों और नागरिकों पर आतंकी हमले करने में मदद कर रहे थे।

नई भर्तियों के लिए जांच प्रक्रियाओं को किया जाए मजबूत

बता दें कि मनोज सिन्हा के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हर सरकारी विभाग में नई भर्तियों के लिए जांच प्रक्रियाओं को मजबूत किया है। आतंकी समर्थकों द्वारा घुसपैठ को रोकने के लिए पुलिस सत्यापन को अनिवार्य किया है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि आतंकी सहयोगियों की समाप्ति ने संभावित आतंकी सहयोगियों के बीच डर पैदा किया है और आंतरिक तोड़फोड़ की संभावना कम कर दी है। अधिकारी ने कहा, ‘उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के बहुआयामी दृष्टिकोण- आक्रामक आतंकवाद विरोधी अभियानों, आतंकवाद के वित्तपोषण को बाधित करने और सरकार में से समर्थकों और मुखबिरों को हटाने के संयोजन ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को काफी कमजोर कर दिया है।’

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