Muharram Procession in J&K: 28 जुलाई दिन शुक्रवार का दिन जम्मू-कश्मीर के लिए बेहद ही ऐतिहासिक रहा है। तीन दशकों ये भी अधिक समय के बाद शिया समुदाय ने गुरुबाजार से डलगेट मार्ग पर मुहर्रम जुलूस निकाला, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए। जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा लंबे समय के के बाद अनुमति दिए जाने पर पैगम्बर मुहम्मद के पोते हज़रत इमाम हुसैन की जय-जयकार के बीच, सीना ठोककर और हज़रत इमाम हुसैन को याद करते हुए जम्मू-कश्मीर में मुहर्रम का जुलूस निकाला गया।
श्रीनगर में करीब तीन दशक से अधिक समय के अंतराल के बाद अधिकारियों ने व्यस्त लाल चौक क्षेत्र से गुजरने वाले मार्ग पर जुलूस के लिए सुबह 6 बजे से 8 बजे तक दो घंटे का समय दिया था। आपको बता दें कि 90 के दशक में कश्मीर में आतंकवाद फैलने के बाद मुहर्रम का जुलूस नहीं निकाला गया था। सूत्रों के मुताबिक, श्रीनगर के साथ-साथ घाटी के अन्य जिलों में भी मुहर्रम को लेकर जुलूस निकाले जा रहे हैं, जिसके मद्देनजर सुरक्षा को भी सतर्क रहने का आदेश दिया गया है।
वहीं, शिया संगठनों का कहना है कि हमें यकीन है कि जिस तरह 8वीं मुहर्रम के जुलूस को इजाजत दी गई थी, उसी तरह 10वीं मुहर्रम के जुलूस को भी इजाजत दी जाएगी और हमें भरोसा है कि प्रशासन हमारे भावनाओं को ध्यान में रखेगा और उसी को ध्यान में रखते हुए फैसला लेगा।
या हुसैन या हुसैन के नारे के साथ सड़कों पर निकाली गई जुलूस के इस ऐतिहासिक मौके पर शिया मौलाना कल्बे जव्वाद ने एलजी मनोज सिन्हा की बहुत तारीफ की है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने भी ट्वीट कर मुहर्रम की बधाई दी। वहीं, त्यौहार मनाने वाले लोगों का कहना है कि यह निश्चित रूप से हमारे लोगों के लिए एक और ऐतिहासिक दिन है।
तीन दशकों से अधिक समय से जुलूस को अनुमति नहीं मिलने के पीछे बड़ी वजह यह थी कि सरकार जुलूस निकालने वालों को अलगाववादी आंदोलन के प्रति नरम मानती थी। जिसके चलते 1990 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की शुरुआत में इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। फिलहाल श्रीनगर में गुपचुप तरीके से सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी गई है, वहीं सीसीटीवी कैमरों से लोगों पर नजर रखी जा रही है।