Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि अभिलाषा- मुझे ऐसा बना दो मेरे प्रभु , जीवन में लगे ठोकर न कहीं। जाने अनजाने भी मुझसे, अपकार किसी का हो न कहीं।।
उपकार सदा करता जाऊं, दुनियां अपकार भले ही करे।
बदनामी न जग में हो मेरी, भले कोई भी नाम लिया न करे।।
तू ही इक ऐसा साथी है, दुःख में भी साथ नहीं तजता।
दुनियां प्यार करे न करे, खोऊँ तेरा भी न प्यार कहीं ।।
जो तेरा बनकर रहता है, कांटों में गुलाब सा खिलता है।
कितने ही कांटे पांव चुभे, पर फूल भी हो कांटे न कहीं।।
मन हो मधु पूर्ण कलश मेरा, आंखों में ज्योति झलकती हो। तुमसे मधु पीने को ऐसा, जगता ही रहूं सोऊँ न कहीं।।
मैं क्या हूं क्या मेरा पथ है, यह सत्य सदा मैं समझ सकूं।
इस सतपथ पर चलते-चलते, मेरे पांव थके न रुके न कहीं।।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).