Dudhwa National Park: यूपी के दुधवा टाइगर रिजर्व में लगातार बाघों के मौत की खबर आ रही है। वहीं हाल ही में दो महीने के अंदर चार बाघों की मौत हुई है। हालांकि इन मरे हुए बाघों का पोस्टमॉर्टम कराए जाने पर जांच रिपोर्ट से उनकी मौत की वजह का खुलासा हो हुआ है। दरसल, एक वन अधिकारी ने बताया कि 21 अप्रैल, 2023 और 9 जून, 2023 के बीच चार वयस्क बाघों-तीन नर और एक मादा-की कथित तौर पर विभिन्न कारणों से मौत हो गई थी। इस घटना ने यूपी सरकार को जांच शुरू करने और जिम्मेदार अधिकारियों को स्थानांतरित करने के लिए मजबूर किया। प्राथमिक जांच में जंगली बिल्लियों की गश्त और निगरानी में खामियां सामने आईं।
वहीं, बरेली मंडल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पोस्टमार्टम से पता चलता है कि मौतें प्राकृतिक कारणों से हुईं न कि किसी परिस्थितियां अथवा अन्य कारणों से। अलग-अलग मामलों में अन्य बाघों से लड़ते समय चोट लगने से दो बाघों की मौत हुई। इस प्रक्रिया में अन्य बाघ घायल हो गए और ठीक होने की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं। ये झगड़े जंगली जानवरों के प्राकृतिक गुणों का हिस्सा थे। बाघ क्षेत्रीय हैं और अक्सर विवाद होते रहते हैं।
जानकारी के मुताबिक, बाघों की मौत आपसी लड़ाई में लगी चोटों के कारण हुई है। अधिकारियों के ने बताया कि अन्य दो बाघों की मौत संक्रमण के कारण हुई बाघों में संक्रमण होता है खासकर जब उनकी प्रतिरक्षा कमजोर होती है या वायरल संक्रमण से पीड़ित होते हैं।
बाघों के संक्रमण और स्वास्थ्य पर नहीं दिया ध्यान
विशेषज्ञों का कहना है की बाघों के संक्रमण और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया, परिणामस्वरूप मौतें हुईं। सभी बाघ वयस्क थे और अपने चरम पर थे। साथ ही अपना वंश बढ़ाने के लिए आतुर भी थे। जांच रिपोर्ट में प्रशासन की कई खामियां भी उजागर हुईं। रिपोर्ट में टाइगर रिजर्व में फील्ड स्टाफ की कमी और गश्त की कमी को भी उजागर किया गया है। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि बाघों की मौतों के बाद से स्टाफ बढ़ाना प्राथमिकता है। कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने के लिए नए रेंज अधिकारियों का एक समूह नियुक्त किया गया है। हालांकि तुलनात्मक रूप से कम अधीनस्थ वन रक्षक हैं और रिक्त पदों को जल्द भरने का प्रयास किया जा रहा है।
टाइगर रिजर्व में होगी कर्मचारियों की भर्ती
वर्तमान में टाइगर रिजर्व कुल कर्मचारियों की 40-45 प्रतिशत क्षमता पर काम कर रहा है। अधिकारियों ने कहा, हमें उम्मीद है कि पदों को भरने और बाघ अभयारण्य को कुशलतापूर्वक संचालित करने के लिए 200 से अधिक कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी। टाइगर रिजर्व का हिस्सा दुधवा नेशनल पार्क फिलहाल मानसून के कारण बंद है। इसके बावजूद बाघों की सुरक्षा के लिए गश्त जोरों पर जारी है।
चारों ओर लगाईं कीलें से भी हो सकता है नुकसान
वहीं स्थानीय लोगों का मानना है कि संक्रमण से मरने वाले बाघों को लोहे की कीलों से घायल किया गया था। दुधवा के आसपास रहने वाले लोगों ने बताया कि वन अधिकारियों ने ग्रामीणों को संरक्षित क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने के लिए राष्ट्रीय उद्यान की सीमाओं के चारों ओर मोटी कीलें लगा दी हैं। यदि ये गलती से बाघों के पंजों पर अथवा शरीर के अन्य किसी भाग पर पड़ जाए तो उन्हें भी चोट पहुंचती है। यह विशेष रूप से नए अभ्यस्त बाघों के मामले में हैं, जो नया इलाका बनाने के लिए एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में आते जाते रहते हैं। ऐसे दौर में बाघों के घायल होने की घटनाएं ग्रामीणों ने देखी हैं।