UP News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और गोवंश संरक्षण को नई दिशा देने के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है. इस पहल का मुख्य उद्देश्य गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाना, किसानों की आय में वृद्धि करना और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करना है. इसके अंतर्गत गौशालाओं को ग्रामीण उद्योग के केंद्रों में बदल दिया जाएगा, जिससे पंचगव्य उत्पादों और बायोगैस का उत्पादन बढ़ेगा. प्रदेश के 75 जिलों में प्रत्येक में 2 से 10 गौशालाओं को बड़े मॉडल केंद्रों के रूप में विकसित किया जाएगा.
पंचगव्य उत्पाद निर्माण
योगी सरकार का मानना है कि “गांव की गाय, गांव की तरक्की का आधार” है. इसी दृष्टिकोण को साकार करने के लिए पतंजलि ने तकनीकी सहयोग देने का आश्वासन दिया है. इस योजना के तहत गोशालाओं को केवल संरक्षण केंद्र न मानकर, उन्हें पंचगव्य उत्पाद निर्माण, बायोगैस उत्पादन और ग्रामीण उद्योग के आधुनिक केंद्रों के रूप में विकसित किया जाएगा.
सभी जिलों में बनेंगे मॉडल केंद्र
इस साझेदारी के तहत गौशालाएं केवल संरक्षण केंद्र ही नहीं रहेंगी, बल्कि उन्हें ग्रामीण उद्योग के केंद्रों के रूप में परिवर्तित किया जाएगा, जहां पंचगव्य उत्पाद और बायोगैस का उत्पादन किया जाएगा. प्रदेश के 75 जिलों में 2 से 10 गौशालाओं को बड़े मॉडल केंद्रों के रूप में विकसित किया जाएगा. गौ अभयारण्यों में खुले शेड, बाड़ और सुरक्षा व्यवस्था बनाई जाएगी ताकि गौमाता का मुक्त विचरण सुनिश्चित हो सके.
प्राकृतिक संसाधनों की आपूर्ति
प्रवक्ता ने बताया, “इस पहल से बड़े पैमाने पर ग्रामीण रोजगार भी मिलेगा, जहां ग्रामीण सक्रिय रूप से गौमूत्र संग्रहण और उत्पादों की बिक्री में भाग लेंगे. इस प्रक्रिया में उन्हें 50% कमीशन मिलेगा. पतंजलि योगपीठ प्रशिक्षण, गुणवत्ता नियंत्रण, फॉर्मूलेशन, प्रमाणन और लाइसेंसिंग के माध्यम से इस कार्यक्रम को और सहयोग देगा.
इसके अलावा, गौशालाओं में जियो-फेंसिंग, गायों की टैगिंग, फोटो मैपिंग और चारे की सूची पर नज़र रखने जैसी उन्नत तकनीकें भी शुरू की जाएँगी. नीम, गोमूत्र और वर्मीकम्पोस्ट जैसे प्राकृतिक संसाधनों की भी हर गाँव में आपूर्ति की जाएगी, जिससे किसानों की लागत कम करने, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और पर्यावरणीय स्थिरता को मज़बूत करने में मदद मिलेगी.
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