पांडुलिपियों में छिपे ज्ञान के संरक्षण से नई पीढ़ी को मिलेगा लाभ

वाराणसी। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के सरस्वती भवन में संरक्षित ज्ञान संपदा को संरक्षित करने का बीड़ा इंफोसिस ने उठाया है। प्राचीन पांडुलिपियों को संरक्षित करने की प्रक्रिया सोमवार को सरस्वती भवन पुस्तकालय में प्रशिक्षण कार्यशाला के साथ आरंभ हो गई। इंफोसिस फाउंडेशन के आर्थिक सहयोग एवं संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठान के सौजन्य से पांच दिवसीय पांडुलिपि संरक्षण प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन हुआ। मुख्य अतिथि संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठान के निदेशक डॉ. चांद किरण सलूजा ने बताया कि पांडुलिपी संरक्षण का काम शुरू हो चुका है। एक साल तक संरक्षण के लिए विशेषज्ञ यहीं रहकर काम करेंगे। विशिष्ट अतिथि अपर मुख्य सचिव मोनिका गर्ग ने कहा कि पांडुलिपि संरक्षण की यह पहल सराहनीय है। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने की। इस दौरान प्रो. अमित कुमार, डॉ. मधुसूदन मिश्र, डॉ. राजा मौजूद रहे।

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