बीएचयू के वैज्ञानिकों को मिला अश्वगंधा में कोरोना का इलाज

वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के शोधकर्ताओं को अश्वगंधा में कोरोना वायरस से लड़ने का नया फार्मूला मिला है। इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के सेंटर फार जेनेटिक डिसआर्डर के शोधकर्ताओं को अश्वगंधा के अंदर ऐसे तो मॉलिक्यूल मिले हैं जो कोरोना वायरस के प्रोटीन 3सीएलपीआरओ और ओआरएफ 8 की गतिविधियों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वैज्ञानिकों की टीम ने तुलसी, नीम, गिलोय, अश्वगंधा, एलोवेरा सहित 41 भारतीय औषधीय पौधों के फाइटोकेमिकल्स (पौधों के केमिकल्स) पर शोध किया और इसके नतीजे बेहद उत्साहित करने वाले हैं। सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर (सीजीडी) के समन्वयक प्रो. परिमल दास के नेतृत्व में नौ शोधकर्ताओं की टीम ने भारतीय औषधीय पौधों पर शोध किया। टीम के सदस्य प्रशांत रंजन ने बताया कि टीम ने 41 विभिन्न औषधीय पौधों से लगभग 3777 फाइटोकेमिकल्स की जांच की है। इसे हमने सार्स के साथ इंटरैक्ट करने की क्षमता का परीक्षण करने के बाद करीब 1427 मॉलिक्यूल्स का चयन किया। इसके बाद इन चयनित मॉलिक्यूल्स पर मॉलिक्यूलर डॉकिंग की गई। आखिरकार यह निष्कर्ष निकाला गया कि इनमें से दो लीड मॉलिक्यूल अपनी सक्रिय साइट के साथ मजबूती से कोरोना वायरस से लड़ने में सक्षम हैं। इस दौरान यह वायरस के प्रोटीन की गतिविधियों को रोकने में सफल रहा। उन्होंने बताया कि ये दोनों लीड मॉलिक्यूल्स अश्वगंधा पौधे के थे।

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