गोरखपुर। गोरखपुर जिले में कई साल पूर्व अधिगृहीत की गई जमीनों में से कुछ के राजस्व अभिलेखों पर गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) अब भी अपना नाम नहीं दर्ज करा सका है। प्राधिकरण अब अभियान चलाकर इस गलती को सुधारेगा। दस्तावेजों पर नाम नहीं चढ़ने से वर्तमान में जीडीए के तमाम ऐसे भूखंडों को काश्तकार बेच भी चुके हैं। तो कई लोग ठगी का शिकार बनकर प्राधिकरण के चक्कर लगा रहे हैं। गलती सुधारने के क्रम में जिन भूखंडों के अधिग्रहण के साथ ही मुआवजा, काश्तकार को दिया जा चुका है, उसका विवरण विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी (एसएलएओ) को उपलब्ध कराया जा रहा है। एसएलएओ की ओर से ही तहसील में जीडीए का नाम दर्ज कराया जाएगा। ऐसे ही मामले में शहर के लच्छीपुर स्थित शास्त्रीनगर के 15 से अधिक लोग परेशान हैं। करोड़ों की लागत से मकान बनवाने के बाद कुछ महीने पहले उन्हें जीडीए की तरफ से नोटिस मिला की जमीन जीडीए की है। जीडीए का कहना था कि यह जमीन 1990 के आसपास अधिग्रहीत की जा चुकी है और मुआवजा भी दिया जा चुका है। जबकि यहां मकान बनवाकर रह रहे लोगों के अनुसार उन्होंने 2012-13 तक यहां के भूखंडों को काश्तकार से खरीदा था। तहसील में उस समय भी काश्तकार का ही नाम दर्ज था। जमीन की बाकायदा रजिस्ट्री हुई है। कुछ लोगों को बैंक से घर बनवाने के लिए लोन भी मिला था। इसी तरह के अन्य मामले भी हैं, जिसमें लोगों के घर बनाने के बाद जीडीए की नोटिस पहुंची। लच्छीपुर के अलावा मानबेला की करीब 12 एकड़ जमीन, खोराबार में भी 10 एकड़ से अधिक जमीन पर भी प्राधिकरण का नाम नहीं दर्ज हो सका है। इनमें से कई भूखंड, अधिग्रहण के बाद भी मूल काश्तकार बेच चुके हैं।