वाराणसी। अब मंडुआडीह स्टेशन की नई पहचान बनारस नाम से ही की जाएगी। इस दिशा में बुधवार को प्लेटफार्म पर नया बोर्ड लगाने के साथ ही और अन्य राजकीय कार्य को पूरा किया जा रहा है। नए बाेर्ड पर हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी और उर्दू में बनारस लिखा है। बीते दिनों केंद्रीय गृह मंत्रालय और रेल मंत्रालय ने वाराणसी के मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन (Manduadih Railway Station) का नाम बदले का फैसला किया था। इस संबंध में सरकार के कई स्तरों पर जरूरी कार्रवाई पूरी की जा रही थी। मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर वाराणसी किए जाने की मांग कई दिनों से लंबित थी, जिसपर विचार करने के बाद केंद्र सरकार ने नाम परिवर्तन को स्वीकृति दी थी। प्रयागराज रेल खण्ड पर स्थित मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम मंडुआडीह के स्थान पर बनारस करने की स्वीकृति रेलवे बोर्ड से मिल गई है। इसी क्रम में आज मंडुआडीह स्टेशन का नाम परिवर्तन करने की कार्रवाई की जा रही है। अब इस स्टेशन का नाम हिन्दी में बनारस तथा अग्रेजी में BANARAS होगा तथा इस स्टेशन का कोड BSBS होगा। इसके साथ ही काशी के विद्वत जन की मांग पर इस स्टेशन की नाम पट्टिका पर संस्कृत में भी इसका नाम (बनारसः) अंकित किया जा रहा है। ज्ञातव्य हो कि आज रात 12 बजे 15 जुलाई,2021 से इस स्टेशन से जारी होने वाले टिकटों पर भी स्टेशन का नाम बनारस एवं स्टेशन कोड BSBS अंकित होकर जारी होगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह नगर हिन्दू देवता शिव की नगरी रूप में भी विख्यात है और शिव की नगरी के पर्यायवाची शब्दों में बनारस भी क्षेत्रीय लोकाचार की भाषा में प्रसिद्ध है। विकास की परिकल्पनाओं को साकार करते हुए, मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन को पुनर्विकसित करते हुए इसके नया स्वरूप प्रदान किया गया है। यह विश्वस्तरीय रेलवे स्टेशन किसी हवाई अड्डे की तरह दिखता है। नव-पुनर्निर्मित रेलवे स्टेशन विश्व स्तर का है, यह किसी बड़े प्रतिष्ठित निगमित कॉर्पोरेट कार्यालय की तरह दिखाई देता है न केवल स्टेशन भवन मंडुआडीह रेलवे स्टेशन को अलग बनाता है, बल्कि इसके सभी विभिन्न यात्री-अनुकूल सुविधाएं भी हैं। नए रूपांतरित स्टेशन में अब एक विशाल प्रतिक्षालय क्षेत्र, विभिन्न श्रेणियों के प्रतीक्षालय, उच्च श्रेणी यात्री विश्रामालय, एस्केलेटर सीढियां, लिफ्ट्स, फूड प्लाजा, कैफेटेरिया, वी आई पी लाउन्ज, पार्किंग, सेल्फी पॉइंट, राष्ट्रीय ध्वज, धरोहर के रूप में छोटी लाइन का इंजन, विस्तृत ग्रीन और स्वच्छ सर्कुलेटिंग एरिया, आधुनिक बुकिंग आरक्षण कार्यालय, फूड कोर्ट, सभी सुविधाओं से परिपूर्ण वेटिंग रूम और बहुत कुछ है। स्टेशन में एसी लाउंज, गैर-एसी रिटायरिंग रूम और डॉर्मिटरी भी हैं। स्टेशन परिसर की वास्तुकला काशी की आस्था को दर्शाती है। स्टेशन के परिवेश में फव्वारे और बैठने की जगह शामिल है। इस स्टेशन को उन्नत यात्री सुविधाओं के रख-रखाव के लिए आई एस ओ सर्टिफिकेशन एवं साफ-सफाई एवं कुशल प्रबंधन के लिए 5 एस सर्टिफिकेशन भी प्राप्त है। पूर्व रेल राज्यमंत्री मनोज कुमार सिन्हा की पहल ने आखिरकार रंग ला दिया। नाम को लेकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न होने के चलते यात्री और सैलानियों को परेशानी का सामना करना पड़ता था। सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी काशी में होने के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय पटल पर लोग मंडुआडीह स्टेशन के नाम से अनजान थे। अमूमन नाम को लेकर भ्रमवश यात्रियों को इधर-उधर भटकना पड़ता है। ऑनलाइन रेलवे टिकट बुकिंग में भी उन्हें परेशानी होती थी। अब जनपद के समानांतर मंडुआडीह स्टेशन का नाम बदलने से कोई कठिनाई नहीं होगी। यूं तो मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की मांग समय- समय पर उठाई जाती रही है। लेकिन इसे मूर्तरूप देने का काम पूर्व केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने किया। उन्होंने वर्ष 2014- 15 में रोहनिया स्थित एढे गांव में आयोजित एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए मंडुआडीह स्टेशन का नाम बदलने का वादा किया था। मनोज सिन्हा ने इस दिशा में मंत्रालय की स्वीकृति प्रदान करने के पश्चात राज्य और केंद्र को फ़ाइल बढ़ा दिया था। कैस बनारसी फाउंडेशन और जनजागृति समिति ने भी नाम बदलने की वकालत की थी।