ज्ञान वह है, जो श्रद्धा और समर्पण जगाए: दिव्य मोरारी बापू

राजस्‍थान/पुष्‍कर। परम पूज्‍य संत श्री दिव्‍य मोरारी बापू ने कहा कि ज्ञान वह है, जो जीवन में माधुर्य प्रकट करे। ज्ञान वह है जो आत्म चेतना को जगाये, विषय कसाय को भगाये। ज्ञान वह है जो जीवन में सरलता लाये। ज्ञान वह है, जो जीवन में आलोक बिछाए। ज्ञान वह है जो जीवन में सदैव आनन्द लहर लहराए। ज्ञान वह है, जो पूज्यों के प्रति नम्र भाव का सर्जन करे। ज्ञान से ही विराट बना जा सकता है। ज्ञान वह है जो श्रद्धा और समर्पण जगाए। ऐसा ज्ञान ही सम्यक ज्ञान कहा जाता है। उन्‍होंने कहा कि कामना से प्रेरित जीव अन्तरात्मा के रोकने पर भी पाप करता है। कामना के बेग में बहुधा ज्ञान बह जाता है। अतः पाप हो जाता है। कभी-कभी ऐसे प्रसंग भी आते हैं कि पाप किये बिना छुटकारा नहीं मिलता। ऐसे क्षणों में यदि दूसरा विकल्प न हो तो भगवान् को साथ रखकर जितना हो सके अनुचित कर्म से बचना चाहिए। कामना ही पुनर्जन्म का कारण होती है। वासुदेव गायत्री का सदैव जप करना चाहिए। विचार करने से वैराग्य आता है। विचार करो तो पवित्र विचार करो, खोटे विचार करने से मन बिगड़ता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना- श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *