25 जुलाई से 22 अगस्त तक रहेगा सावन, पहले सोमवार को करें बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक

वाराणसी। भगवान शिव को समर्पित श्रावण मास में व्रत, दर्शन और पूजन से सभी मनोरथ पूर्ण होंगे। सावन में इस बार चार सोमवार पड़ रहे हैं और इसमें भगवान शिव का विशेष पूजन अनुष्ठान व्रत करने का विशेष फल मिलता है। श्रावण मास रविवार से शुरू होकर रविवार को ही समाप्त हो रहा है। सावन 25 जुलाई से आरंभ होकर 22 अगस्त तक रहेगा। ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि भगवान शिव के दर्शन पूजन, अर्चना एवं व्रत से जीवन में सर्व संकटों के निवारण के साथ अभीष्ट की प्राप्ति होती है। सावन में चार सोमवार पड़ रहे हैं। प्रथम सोमवार 26 जुलाई, द्वितीय सोमवार 2 अगस्त, तृतीय सोमवार 9 अगस्त एवं चतुर्थ सोमवार 16 अगस्त को है। संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत 27 जुलाई मंगलवार को, नाग पंचमी 28 जुलाई बुधवार, कामदा एकादशी व्रत चार अगस्त बुधवार को है। शिवजी की प्रसन्नता के लिए किए जाने वाला प्रदोष व्रत 5 अगस्त गुरूवार तथा 20 अगस्त शुक्रवार को रखा जाएगा। महाशिवरात्रि भी इस बार 6 अगस्त शुक्रवार को पड़ रही है। इसके अतिरिक्त हरियाली अमावस्या 8 अगस्त रविवार को है। इन दिनों शिव भक्त भगवान शिव का विशेष दर्शन पूजन एवं व्रत रखकर मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं। नाग पंचमी 13 अगस्त शुक्रवार को मनाई जाएगी तथा इस मास का प्रमुख पर्व रक्षाबंधन 22 अगस्त रविवार को हर्षोल्लास के साथ मनेगा। काशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री ज्योतिषाचार्य पं. दीपक मालवीय ने बताया कि श्रद्धालुओं को शिव कृपा प्राप्त करने के लिए प्रात: काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सायं काल प्रदोष काल में भगवान शिव की पंचोपचार व षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए भगवान शिव को प्रिय धतूरा, बेल पत्र, मदार की माला, भांग, ऋ तु फल, दूध, दही, चीनी, मिश्री, मिष्ठान आदि अर्पित करना चाहिए। भगवान शिव की महिमा में शिव मंत्र, शिव स्तोत्र, शिव चालीसा, शिव साधना एवं शिव महिमा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। शिवपुराण में वर्णित मंत्र को विशेष फलदायी माना गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *