गोरखपुर। कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार के वैज्ञानिक डॉ. एसके तोमर का कहना है कि धान की फसलों में सही मात्रा में उर्वरक डालने से पैदावार में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। जबकि, जिंक की कमी से फसलों में खैरा रोग लग जाता है, जिसकी वजह से पैदावार प्रभावित होती है। उन्होंने किसानों को उचित मात्रा में उर्वरक का उपयोग करने की सलाह दी। डॉ. एसके तोमर ने कहा कि अधिक उपज देने वाली धान की प्रजातियों में प्रति एकड़ 52 किलोग्राम डीएपी, 110 किलोग्राम यूरिया और 40 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग करना चाहिए। जरूरत के अनुसार जिंक का प्रयोग करना चाहिए। धान की रोपाई के एक सप्ताह बाद 35 किलोग्राम यूरिया का प्रयोग एक एकड़ खेत में करना चाहिए। इसी तरह से कल्ले बनने के समय 45 किलो तथा बाली आने के समय 45 किलोग्राम यूरिया का प्रयोग एक एकड़ खेत में करना चाहिए। जिन क्षेत्रों में जिंक की कमी हो, वहां की फसल में यूरिया में मिलाकर जिंक का छिड़काव करना चाहिए। जिंक की कमी से खेत में खैरा रोग लगता है। जिंक की कमी के लक्षण रोपाई के चार सप्ताह बाद दिखने लगते हैं। पत्तियों के बीच कांसे के रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं। उन्होंने बताया कि लौह तत्व की कमी से धान की फसल में सफेद रोग लगता है। चार किलोग्राम फेरस सल्फेट को 20 किलोग्राम यूरिया में मिलाकर एक हजार लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से सफेद रोग से बचाव किया जा सकता है।