लखनऊ। साइबर ठगों का गिरोह कोई और नहीं बल्कि एक निजी स्कूल का शिक्षक चलाता है। देवघर में निजी स्कूल में 6000 रूपये प्रतिमाह के वेतन पर काम करने वाले शिक्षक ने अपने पूरे गांव को करोड़पति बना दिया। उसके गिरोह में गांव के हर घर का सदस्य शामिल है। गांव के छोटे बच्चे मुखबिरी करते हैं, तो वहीं बुजुर्ग महिला व पुरुष पुलिस को गुमराह करने का काम करते हें। इसके बदले सरगना हर बार उनको दो से चार हजार रुपये देता है। साइबर क्राइम सेल की गिरफ्त में आया जालसाजों के गिरोह का सरगना व मास्टरमाइंड प्रमोद मंडल देवघर के एक निजी स्कूल में 6000 रूपये प्रतिमाह की नौकरी करता था। कुछ दिनों तक उसने यह काम किया। इसके बाद उसने कमाई के लिए साइबर ठगी का धंधा शुरू कर दिया। इसके लिए उसने फर्जी नाम व पते पर कई टेलीकॉम कंपनियों के सिम और मोबाइल खरीदे। इसके बाद दुमका व देवघर में रहने वाले मजदूरों से संपर्क करने के लिए एक टीम लगाई। उनके निशाने पर वहीं मजदूर होते थे, जो मजदूरी के लिए अन्य प्रदेशों में गये थे। उनके परिवारीजनों से मिलकर उनके खाते खुलवाए। इसके लिए मजदूरों का ही दस्तावेज इस्तेमाल किया। इसके बाद साइबर ठगी के जरिए ऐंठे गए रुपये को इन खातों में जमा कराने लगे। मजदूरों के सिर्फ नाम व पते होते थे। बैंक खाते में दर्ज होने वाला मोबाइल नंबर इस गिरोह के सदस्यों का होता था। ताकि रकम जमा करने व निकालने की सूचना किसी अन्य को न मिले। रकम जमा होने के बाद उसे निकालकर अय्याशियों पर खर्च करनी शुरू कर दी।