लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश में जहरीली शराब के मामले में सख्त रुख अख्तियार किया है। राज्य सरकार को निर्देश दिया कि अवैध शराब के धंधे को रोकने के लिए समुचित दिशा-निर्देश जारी करे, अगर पहले से ये जारी न किए गए हों। जिससे भविष्य में हाथों से अवैध शराब बनाने व बिक्री में कोई शामिल न हो सके। कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी व न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश अधिवक्ता सतेंद्र कुमार सिंह की जनहित याचिका पर दिया। इसमें जहरीली शराब के धंधे पर अंकुश लगाने का आग्रह किया गया था। हालांकि कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि राज्य सरकार इसे रोकने के लिए कदम उठा रही है। पर यह सत्य है कि कुछ साल पहले भी बाराबंकी सहित अन्य जगहों पर जहरीली शराब बनाने व बिक्री की घटनाएं हुईं। इसमें कई लोगों की मौतें भी हुईं हैं। लिहाजा सरकार इसकी सख्ती से निगरानी करे। जिससे आगे अवैध शराब का निर्माण व बिक्री न हो सके। सुनवाई के समय सरकारी वकील ने मामले में सरकार से पूरे निर्देश लेने को दो सप्ताह का वक्त दिए जाने की गुजारिश की थी। इसे कोर्ट ने मंजूर करते हुए तकीद किया था कि जानकारी महज हाल ही अलीगढ़ में हुई जहरीली शराब की घटना संबंधी नहीं होनी चाहिए, बल्कि वर्ष 2017 में एक अन्य याचिका पर दिए गए कोर्ट के आदेश को लेकर भी जानकारी दें। इस आदेश में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि जहरीली शराब के व्यापार को रोकने के लिए समुचित कदम उठाए जाएं। अदालत ने कहा था कि इस आदेश के संबंध में क्या किया गया है? इसकी भी जानकारी दी जाए। सुनवाई के समय सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त निगरानी करने का निर्णय किया है। अदालत ने सरकार का जवाब आने के बाद उक्त आदेश देकर याचिका निस्तारित कर दी।