प्रत्येक जीव का सदैव कल्याण ही चाहते हैं भगवान: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्री गणेश महापुराण में लिखा है, जैसे बछड़े के लिए गाय अपने आप दौड़ी आती है, ठीक इसी तरह भगवान भी अपने भक्तों के लिये दौड़े चले आते हैं। आप सोचते हो कि केवल हम भगवान् से प्रेम करते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। अगर आप भगवान से प्रेम करते हैं तो भगवान भी आपसे प्रेम करते हैं। यदि बछड़ा गाय माता से प्रेम करता है तो गाय भी बछड़े से प्रेम करती है। भगवान् गणेश ने राजा वरेण्य को उपदेश दिया है, जिसे गणेश पुराण में श्री गणेश गीता के नाम से जानते हैं। उसमें भगवान कहते हैं-ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यऽहं।। जो मुझे जिस रीति से भजता है, मैं भी उसको उसी रीति से भजता हूं, भगवान ने वचन दिया है। जो व्यक्ति मेरे जिस रूप की उपासना करता है, उसी रूप में प्रकट होकर उसकी कामना पूर्ण करता हूं। श्री गणेश पुराण में पहले प्रसंग आ गया है, भगवान सूर्य बनकर दर्शन देते हैं, विष्णु के रूप में दर्शन देते हैं, सिंह के रूप में दर्शन देते हैं, सिंह वाहिनी भगवती दुर्गा के रूप में दर्शन देते है, विनायक के रूप में दर्शन देते हैं। मूल में तत्व तो एक ही है।

संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने आगे कहा कि बच्चे माता-पिता को न भी चाहें, लेकिन माता-पिता का उनके प्रति अत्यंत स्नेह होता है, माता-पिता उनको चाहते ही हैं। वह बच्चों को नहीं छोड़ सकते हैं, बच्चे भले छोड़ दें। इसी तरह जीव भगवान को भले भूल जाय या नास्तिक हो जाय, भगवान को न माने, लेकिन भगवान जीव को छोड़ नहीं सकते हैं। जीव का सदैव कल्याण ही चाहते हैं और करते हैं। परमात्मा सर्व समर्थ हैं, जो चाहे वही कर सकते हैं, लेकिन हम जीवों के प्रति अत्यंत प्रेम होने के कारण हमें छोड़ नहीं सकते हैं। संसार में सब कुछ परमात्मा का ही है हम लोग भी परमात्मा के ही हैं। इसलिए परमात्मा का हमेशा ध्यान रखना यह हम जीवों का परमधर्म है। छोटी काशी बूंदी की पावन भूमि, श्री सुदामा सेवा संस्थान (वृद्धाश्रम) का पावन स्थल, चातुर्मास का पावन अवसर, पूज्य महाराज श्री-श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में श्री गणेश महापुराण की कथा का वाचन किया गया, कल से श्री ब्रह्मपुराण की कथा प्रारंभ होगी।

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