जम्मू कश्मीर। जम्मू-कश्मीर सरकार ने एक मुंसिफ जज को बर्खास्त कर दिया है। आरबीए (रिजर्व्ड बैकवर्ड सर्टिफिकेट) प्रमाणपत्र की वैधता पर सवालिया निशान लगने पर जांच के बाद जम्मू-कश्मीर व लद्दाख हाईकोर्ट की फुल कोर्ट की सिफारिश पर उप राज्यपाल ने बर्खास्तगी आदेश जारी कर दिया। कानून, न्याय व संसदीय मामलों के विभाग के सचिव अचल सेठी की ओर से आदेश जारी कर कहा गया कि निलंबित सिविल जज (जूनियर डिवीजन) व मुंसिफ मोहम्मद यूसुफ अल्लई को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है।
आरबीए सर्टिफिकेट पर वर्ष 2000 में नियुक्त अल्लई मूल रूप से मीरगुंड तहसील के रहने वाले हैं, लेकिन उन्होंने दावा किया कि वे सोनावारी तहसील के पिछड़ा गांव शिलवट में शिफ्ट हो गए हैं। इस आधार पर तहसीलदार सोनावारी ने तीन दिसंबर 1996 को एसआरओ 126 के तहत प्रमाणपत्र जारी कर दिया। इस एसआरओ के तहत कोई व्यक्ति यदि 15 साल से पिछड़े इलाके में रहता है तो वह प्रमाणपत्र के लिए दावा कर सकता है। प्रमाणपत्र की वैधता पर सवाल उठने के बाद हाईकोर्ट ने मामले की जांच कराई। रजिस्ट्रार सतर्कता (न्यायिक) की ओर से हाईकोर्ट में 2005 में जमा की गई जांच रिपोर्ट के अनुसार न तो 1977 और न ही उसके बाद कभी भी अल्लई ने मीरगुंड से रख शिलवट गांव में विस्थापन किया है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि शिलवट के चौकीदार मोहम्मद सादिक गनेई व लंबरदार गुलाम हसन ने बताया कि मोहम्मद यूसुफ अल्लई नाम का कोई भी व्यक्ति न तो गांव में रहता था और न रह रहा है। पटवारी अब्दुल गनी बाबा ने भी बताया कि जब उसकी तैनाती थी तो इस नाम का कोई व्यक्ति नहीं रहता था।