नई दिल्ली। केन्द्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वे वाहनों पर ईंधन के आधार पर होलाग्राम आधारित कलर कोड वाला स्टिकर लगाने का काम शुरू करें। मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल के आदेश का हवाला दिया है, जिसमें तुरंत पहचान के लिए वाहनों में प्रयोग होने वाले ईंधन की प्रकृति के मुताबिक अलग-अलग रंगों के होलोग्राम आधारित रंगीन स्टिकर लगाने को कहा था। पेट्रोल और सीएनजी के लिए हल्के नीले रंग का स्टीकर:- पिछले साल दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान रंग आधारित स्टीकर का मसला उठा था। सुनवाई के दौरान जस्टिस मदन बी लोकूर, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच को मंत्रालय ने बताया था कि पेट्रोल गाड़ियों और सीएनजी वाहनों के लिए होलोग्राम आधारित हल्के नीले रंग का स्टिकर और डीजल वाहनों के लिए नारंगी रंग का होलोग्राम आधारित स्टिकर लगाने का सुझाव दिया था। सेल्फ डेस्ट्रक्टिव टाइप होलोग्राम स्टिकर:- मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी कर कहा है कि यह क्रोमियम बेस्ड सेल्फ डेस्ट्रक्टिव टाइप होलोग्राम स्टिकर होगा और बैकग्राउंड का रंग नारंगी होगा और यह पेट्रोल और सीएनजी वाहनों के लिए हल्का नीला होगा। वहीं दिल्ली में पहले ही दिल्ली नई गाड़ियों पर ब्लू और ऑरेंज रंग स्टीकर लगाने का सिलसिला शुरू हो चुका है। इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के लिए हरे रंग की नंबर प्लेट:- इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में जजों की बेंच ने कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में चलने वाले वाहनों पर इन रंगीन स्टिकर को पहले लागू करने को कहा था। साथ ही सुनवाई के दौरान पीठ ने मंत्रालय की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एएनएस नादकर्णी से कहा था कि इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के लिए हरे रंग की नंबर प्लेट पर भी विचार किया जाए। वकील अपराजिता सिंह ने दिया था सुझाव:- दिल्ली में वायु प्रदूषण के मसले पर अदालत की मदद कर रही वकील अपराजिता सिंह ने सुझाव दिया था कि वाहनों पर अलग-अलग रंग के स्टीकर लगाने पर विचार किया जाना चाहिए ताकि दूर से पता चल सके कि वाहन में किस ईंधन का इस्तेमाल हो रहा है।