दिल्ली। उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में हुई बारिश का कहर यूपी पर टूटा है। शारदा, रामगंगा, कोसी, मालन और गंगा में उफान और बनबसा, कालागढ़ समेत कई बांधों से पानी छोड़ने से मुरादाबाद, रामपुर, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बरेली और शाहजहापुर जिलों में सैकड़ों गांव डूब गए हैं। हजारों एकड़ खेत जलमग्न हैं और सैकड़ों लोगों को सुरक्षित जगह भेजा गया है। वायुसेना, एसएसबी, एसडीआरएफ भी बचाव कार्यों में जुटी है। वायुसेना ने पीलीभीत में शारदा की बाढ़ में फंसे 26 लोगों को बुधवार सुबह हेलिकॉप्टर से सुरक्षित स्थान पहुंचाया। रामनगर बैराज से छोड़े पानी से रामपुर में कोसी, पीलाखार, धौरी और भाखड़ा नदियां उफान पर हैं। तेज बहाव से रामपुर के तीन युवक कोसी में बह गए। दो को बचा लिया गया, एक की डूबकर मौत हो गई। दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर रामपुर-मुरादाबाद के बीच बुधवार को आवाजाही पांच घंटे बंद रही। रामपुर-मुरादाबाद के बीच साढ़े सात घंटे ट्रेनों की आवाजाही भी बंद रखी गई। गर्रा, खन्नौत, गंगा और रामगंगा नदियों में उफान से शाहजहांपुर बाढ़ की स्थिति है। कालागढ़ बांध से पानी छोड़े जाने के बाद सतर्क किया गया है। बदायूं में नरौरा बैराज से एक लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ने के बाद गंगा ने कछला में खतरे का निशान पार कर दिया है। गंगा का जलस्तर बढ़ने से पश्चिमी यूपी के हस्तिनापुर (मेरठ) मुजफ्फरनगर और बिजनौर के खादर क्षेत्र में बाढ़ के हालात हैं। बिजनौर में गंगा और मालन नदी एक हो गई है। कई गांवों का संपर्क कट गया और लोगों को घरों की छतों पर रात काटनी पड़ी। हस्तिनापुर में गंगा के टूटे तटबंध से निकल रहे पानी से गांव दबखेड़ी, हरिपुर, शेरपुर नई बस्ती, हंसापुर परसापुर, पटेलनगर, लतीफपुर, रठौरा कला, किशनपुर, भीमकुंड आदि में ग्रामीणों के घरों तक पानी पहुंच गया।