नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से पार पाने के लिए सरकार और निजी रिफाइनरियां अब मिलकर सौदे करेंगी। पेट्रोलियम सचिव तरुण कपूर ने बताया कि जरूरत का 85 फीसदी तेल आयात करने वाले देश में क्रूड के दाम बढ़ने का व्यापक असर पड़ता है। हमने एक समूह बनाया है, जो तेल उत्पादक देशों के साथ मिलकर सौदा करेगा। पेट्रोलियम सचिव के अनुसार रिफाइनरियों का समूह हर 15 दिन में बैठक करेगा और अपने सुझाव साझा करेगा। सभी तेल कंपनियां संयुक्त रूप से तेल कीमतों पर मोलभाव करेंगी और रणनीतिक खरीदारी पर साझा सहमति बनाएंगी। इससे तेल उत्पादकों पर कीमतें घटाने का दबाव बढ़ेगा। अभी हम ज्यादातर तेल मध्य एशिया के खाड़ी देशों से खरीदते हैं। ओपेक व सहयोगी देशों को उत्पादन बढ़ाकर कीमतें नीचे लानी चाहिए, लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं हो रहा। महंगे क्रूड की वजह से सितंबर में व्यापार घाटा 22.6 अरब डॉलर के साथ 14 साल के शीर्ष पर पहुंच गया है। ओपेक के महंगे तेल से बचने के लिए हमारी रिफाइनरियों ने अरबों डॉलर का निवेश कर खुद को अपग्रेड किया है। कंपनियां खाड़ी देशों से इतर निवेश कर ज्यादा तेल उत्पादन पर जोर दे रही हैं, जिससे हमारे पास बेहतर विकल्प तैयार हो सके।