नई दिल्ली। अंतरिक्ष की दुनिया में भारतीय वैज्ञानिकों को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया है कि अहमदाबाद के फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (पीआरएल) ने एक नए एक्सोप्लैनेट का आविष्कार किया है जो बृहस्पति ग्रह से भी बड़ा है। यही नहीं ये सूर्य के 1.5 गुना मास और 725 प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक विकसित या वृद्ध तारे के पास में परिक्रमा कर रहा है। इसरो ने बताया कि यह आविष्कार पीआरएल एडवांस्ड रेडियल-वेलोसिटी अबू-स्काई सर्च (पारस) ऑप्टिकल फाइबर-फेड स्पेक्टोग्राफ के जरिए हुई थी। ये भारत में अपनी तरह का पहला पीआरएल 1.2 मीटर टेलीस्कोप है जो राजस्थान के माउंट आबू ऑब्जर्वेटरी और बेंगलुरू मुख्यालय में है। पारस एक एक्सोप्लैनेट के मास को मापने की क्षमता रखता है। एक्सोप्लैनेट का मास 70 प्रतिशत और बृहस्पति का आकार लगभग 1.4 गुना पाया गया है। ये माप दिसंबर 2020 और मार्च 2021 के बीच किए गए थे।