नई दिल्ली। देश में कोरोना आपदा का असर तो जरूर कम हुआ है, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं ने लोगों की मुसीबत बढ़ा दी है। अफगानिस्तान-पाकिस्तान के ऊपर पश्चिमी विक्षोभ से चक्रवातीय हवा क्षेत्र बनने से मौसम में जबरदस्त बदलाव आया है। भीषण गर्मी से तप रहे लोगों को मौसम के बदलाव से राहत तो मिली है, लेकिन उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में आयी तेज आंधी और बारिश से 33 लोगों को जान गंवानी पड़ी है।
सैकड़ों पेड़ और बिजली के खम्भे उखड़ गये जिससे विद्युत आपूर्ति जहां छिन्न-भिन्न हो गयी, वहीं सड़कों पर पेड़ गिरने से यातायात की रफ्तार पर लगाम लग गयी। उत्तर भारत में सोमवार तड़के से शुरू हुई तूफानी बारिश ने मौसम का मिजाज बदल दिया है। 75 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चली हवा के साथ हुई बारिश ने दिल्ली और एनसीआर में मई में ही शिमला जैसी ठण्ड का अहसास करा दिया। न्यूनतम तापमान के साथ अधिकतम तापमान में भी गिरावट दर्ज की गयी है।
अचानक बदले मौसम का सबसे ज्यादा असर हवाई यातायात पर पड़ा है। पेड़, बिजली के खम्भे और टीन शेड उड़ने से अवध क्षेत्र में 12, मध्य उत्तर प्रदेश में सात, रुहेलखण्ड में चार, पूर्वी उत्तर प्रदेश में सात और अलीगढ़ हाथरस में तीन लोग अकाल ही काल के गाल में समा गये, वहीं आंधी-पानी से भदोही, जौनपुर, आजमगढ़, मऊ, बलिया और सोनभद्र जिलों में बड़ा नुकसान हुआ। मौसम विभाग के अनुसार अभी दो दिन और मौसम के खराब रहने का अनुमान जताया गया है, जो चिन्तनीय है। लोगों को विशेष सतर्कता और सावधानी बरतने की जरूरत है। चक्रवाती आंधी और तेज वर्षा से हुए नुकसान का आकलन कर लोगों को मुआवजा दिया जाना चाहिए।