नई दिल्ली। बहोत सारे लोगों को आभी तक सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIPs) क्या है, इसके बारे में नही पता। पर आपको बता दें कि एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के अनुसार SIP Accounts की संख्या 5.17 करोड़ है। इसालिए SIPs से जुड़े हर पहलू के बारे में समझना जरूरी है। सिसम आपको अधिकतम रिटर्न प्राप्त करने में मदद मिलती है।
हर लक्ष्य के लिए अलग-अलग SIP-
SIP को लक्ष्य से जोड़ने से आपको एक तरह का मकसद मिल जाता है। लंबी अवधि के लिए इक्विटी, इमरजेंसी फंड बनाने के लिए आप लिक्विड फंड्स, वहीं, मध्यम अवधि के लक्ष्यों के लिए आप अग्रेसिव हाइब्रिड फंड्स पर दांव लगा सकते हैं।
चीजों को सिंपल रखिए-
आप इंवेस्टमेंट के लिए उस फ्रिक्वेंसी को चुनिए जिसे आप आसानी से दे सकते हैं। इस समय कई तरह की ऐसी SIPs हैं, जो मार्केट की मौजूदा परिस्थितियों के हिसाब से आपको SIPs को टाइम करने की सुविधा देती हैं। SIP से बेस्ट रिजल्ट प्राप्त करने के लिए चीजों को सिंपल रखना चाहिए।
जल्दी शुरुआत कीजिए-
निवेश की शुरुआत जितनी जल्द होगी उतना पैसे को ग्रो करने का समय मिलता है। जैसे में- मान लीजिए कि आप 25 साल की उम्र मे एक SIP शुरू करते हैं और हर माह उसमें 1,000 रुपये जमा करते हैं। आप 60 साल की उम्र तक ऐसा करना जारी रखते हैं। अगर हर साल आपको 10 फीसदी के दर से रिटर्न मिलता है तो 60 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते उस इंवेस्टमेंट की वैल्यू 7 करोड़ रुपये हो गई होगी। वहीं अगर आप निवेश में पांच साल की भी देरी कर देते हैं तो इंवेस्टमेंट की वैल्यू तीन करोड़ रुपये से थोड़ी ज्यादा रह जाती है।
लंबी-अवधि का अप्रोच रखिए-
SIP में धैर्य रखने के साथ-साथ अनुशासित होने की जरूरत होती है। SIP की अवधि जितनी लंबी होती है, दोहरे अंकों में कमाई की गुजाइश भी उतनी अधिक होती है। तीन साल की SIP भी आपको नुकसान की भरपाई और बाजार में तेजी का फायदा देने का क्षमता रखती है।
चुने सही SIP-
आपको यह पता होना चाहिए कि आपको रिटर्न फंड में निवेश से मिलता है न की SIP से। अगर आप कमजोर फंड चुनते हैं तो आपको SIPs से भी किसी तरह की मदद नहीं मिलती। ऐसे में बुनियादी रूप से मजबूत फंड चुनिए जिसका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा रहा हो।