नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने देश के नौ राज्यों में बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए चिंता जताई है। इसके लिए केंद्र सरकार ने जांच और टीकाकरण में ढिलाई को जिम्मेदार ठहराया है। बुधवार को केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, असम, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश के स्वास्थ्य अधिकारियों की स्वास्थ्य मंत्रालय के अफसरों के साथ बैठक हुई। सभी राज्यों को जांच में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना के बढ़ते मामलों पर सख्त रुख अपनाते हुए इन राज्यों से आरटी-पीसीआर की घटती जांच को लेकर जवाब मांगा है और प्रति दस लाख औसत जांच की रफ्तार बढ़ाने के लिए कहा है। अनुमान है कि अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, असम, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में टीकाकरण की रफ्तार को बढ़ाया जा सकता है। राज्यों को यह भी सलाह दी गई है कि जिन जिलों में 10 फीसदी से ज्यादा की संक्रमण दर पिछले हफ्ते रही है उन पर सख्त निगरानी रखने की जरूरत है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को जारी की यह सलाह:-
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इसमें किसी भी तरह की कोताही इन जिलों में स्थिति को और बिगाड़ सकती है। जिन लोगों को होम आइसोलेशन पर रखा जा रहा है उन्हें भी प्रभावी और सख्ती से निगरानी करने की जरूरत है ताकि उनके माध्यम से आस-पास के लोगों पर संक्रमण को रोका जा सके। मंत्रालय ने इन सभी राज्यों को 9 जून को संशोधित निगरानी रणनीति के अनुसार निगरानी करने की सलाह दी गई है।
शुरुआती लक्षण दिखने पर तेजी दिखाएं राज्य:-
एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने राज्यों को सलाह दी है कि वह जीनोम सिक्वेन्सिंग का इंतजार न करें जबकि शुरुआती लक्षण के दिखने पर ही आवश्यक कदम उठाएं। इससे संक्रमण दर की निगरानी और अधिक सतर्कता से की जा सकेगी। अस्पताल में भर्ती मरीजों के अंदर कोरोना के बदलते स्वरूप की लाक्षणिक अभिव्यक्ति को लेकर भी चौकस रहने की जरूरत है।
ऐसा देखा गया है कि प्रति दस लाख लोगों में आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश की औसत जांच राष्ट्रीय औसत से कम है, वहीं आरटी-पीसीआर की जांच दर भी मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और असम में बहुत कम है, इसके अलावा हिमाचल प्रदेश, केरल व पश्चिम बंगाल में जांच राष्ट्रीय औसत से कम है।