सुप्रीम कोर्ट का फिर सख्त रुख

नई दिल्ली। कोरोना की पहलीदूसरी और तीसरी लहर में हजारों लोगों ने जान गंवाई। बहुत से ऐसे भी परिवार हैं जिनके यहां भरण- पोषण करने वाला कोई नहीं रह गया है। ऐसे परिजनों की आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है और उनके समक्ष भरण-पोषण का संकट उत्पन्न हो गया है। ऐसे में उनको मुआवजा की राशि न मिलने से उनकी दिक्कतें और बढ़ेंगी।

कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वालों के स्वजन को मुआवजा राशि का अब तक न मिलना प्रशासनिक विफलता को तो दर्शाता ही हैसाथ ही राज्य सरकारों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय को एक बार फिर राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को हिदायत देनी पड़ी है। सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश जनहित में है।

इसको राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को तत्काल अमल में लाना चाहिए और “कोविड- 19 से मरने वालों के स्वजन को राहत पहुंचानी चाहिए। न्यायालय ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को बिना समय गंवाए कोविड – 19 से मरने वालों के परिजनों को मुआवजे का भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति वीवी नागरल की पीठ ने कहा है कि यदि किसी दावेदार को मुआवजा राशि का भुगतान न किए जाने या फिर उनका दावा ठुकराए जाने के सम्बन्ध में कोई शिकायत है तो वह सम्बन्धित शिकायत निवारण समिति में रख सकते हैं और समिति को आवेदन पर चार सप्ताह के अन्दर फैसला लेना होगा। यह पहला अवसर नहीं हैजब सर्वोच्च न्यायालय को यह हिदायत देनी पड़ी है। सर्वोच्च न्यायालय के सख्त रुख के ही कारण मुआवजा राशि मिलने का रास्ता साफ हुआ था। सर्वोच्च न्यायालय को हिदायत से उन लोगों को लाभ मिलेगाजिन्हें अब तक मुआवजा राशि नहीं मिल सकी है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *