जम्मू- कश्मीर। कश्मीर में फिर लक्षित हत्या (टारगेट किलिंग) की घटनाएं चिन्ता का विषय बन गई है। पिछले दिनों इस प्रकार की अनेक घटनाएं हुई थीं लेकिन बीच में इसमें कमी आ गई थी। इन दिनों जहां एक ओर आतंकी घटनाएं बढ़ी हैं वहीं गैर-कश्मीरियों की हत्या भी शुरू हो गई है। जम्मू- कश्मीर में आतंकवादी गैर-कश्मीरियों को निशाना बना रहे हैं।
ऐसी घटनाएं सुनियोजित ढंग से की जा रही हैं, जिससे कि दूसरे राज्यों से आये लोग भयभीत होकर अपने गृह राज्यों में लौट जाए। ऐसी ही एक घटना बांदीपोरा में हुई जहां गुरुवार को मध्यरात्रि में एक प्रवासी मजदूर की गोली मार कर हत्या कर दी गई। प्रवासी मजदूर 19 वर्षीय मोहम्मद अमरेज बिहार के मधेपुरा का रहने वाला है।
पिछले एक सप्ताह के अन्दर प्रवासी मजदूरों पर यह दूसरा हमला है। पुलवामा में आतंकियों ने गाडूरा गांव में बाहरी मजदूरों पर ग्रेनेड फेंका था, जिसमें बिहार के मूल निवासी मुमताज की मौत हो गई थी और दो अन्य श्रमिक घायल हो गए थे। आतंकवादी संघटन गैर- कश्मीरियों को घाटी छोड़ने की चेतावनी दे रहे हैं। ऐसी धमकी कश्मीरी पंडितों को भी दी जा रही है।
ऐसी घटनाएं सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती भी है। प्रशासन और सुरक्षा बल के जवान सतर्कता बरत रहे हैं लेकिन आतंकियों की सक्रियता से स्थिति विषम हो गई है। इसे नियंत्रित करने के लिए और सख्त कदम उठाने की जरूरत है। इसमें किसी प्रकार की शिथिलता या लापरवाही से गलत संदेश जाएगा, जो कदापि उचित नहीं है।
वैसे जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की कमर पहले से ही टूट गई है लेकिन पाकिस्तान के समर्थन और प्रोत्साहन से इनका मनोबल फिर बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में पूरे जम्मू- कश्मीर में बड़ा अभियान चलाने की सख्त जरूरत है जिससे कि आतंकी तत्वों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।