भाव से भगवान् होते है प्रकट: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि भगवान् श्री कृष्ण श्रीमद्भगवद्गीता के दसवें अध्याय में कहते हैं- हे अर्जुन मैंने सबको उत्पन्न किया है और मेरे द्वारा ही सबकी गति है। जैसे पाॅवर हाउस से कल कारखाने की सभी मशीनें जुड़ी हुई है। आपकी ट्यूब लाइट, पंखे सब पावर हाउस से जुड़े हुए हैं, संचालन यहां से हो रहा है पर इसकी क्रिया वहां से प्रारंभ होती है। यदि पाॅवर हाउस से पावर का सम्बन्ध टूट जाये तो कल- कारखाने, ट्यूबलाइट, पंखे सब बेकार हो जाएंगे, मशीनें यहां चल रही हैं। पर इसका स्रोत पाॅवर हाउस है। इसी तरह भगवान कहते हैं- मुझसे ही, मेरे द्वारा ही, सब कुछ हो रहा है।भगवान कहते हैं-मेरे द्वारा ही सारे जगत की सत्ता है, स्थिति है, गति है- मेरे भय से ही वायू चल रही है, सूर्यनारायण समय पर उदित और अस्त हो रहे हैं, अग्नि में दाहकता शक्ति है, इन्द्र समय पर वर्षा करते हैं और मृत्यु भी जीवों पर आक्रमण करती है। सुप्रीम पाॅवर परमात्मा है, वहां से ही सबको गति, मति और स्थिति प्राप्त होती है। जैसे डॉक्टर कहते हैं कि आप हाथ हिलाते हो तो हाथ हिलाने की क्रिया भी दिमाग से होती है,

पलक झपकने की क्रिया भी दिमाग से होती है। सारे यंत्र बुद्धि में होते हैं। ऐसा मानकर विद्वान लोग मेरा भजन करते हैं। भजन करना और भाव से भजन करना इसमें थोड़ा अंतर है। विद्वान लोग भाव से मेरा भजन करते हैं। भाव से भगवान् प्रकट होते हैं। भाव से सत्कर्म होते हैं, इसलिए अपने भाव को संभालिये। जब आप भजन प्रारंभ करें, तो उसमें भावना का संपुट होना चाहिये, कि- अब मुझे भगवान् का दर्शन होने ही वाला है, मेरे अंदर ज्योति जलने ही वाली है। अब ठाकुर जी आने ही वाले हैं। यह भाव अपने अंदर बनाना चाहिये। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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