फिटनेस को बरकरार रखने के लिए मिनी वर्कआउट को रूटीन में करें शामिल

फिटनेस। शरीर और मन को स्‍वस्‍थ रखने के लिए रोजाना व्यायाम जरूरी है। व्यायाम न केवल शरीर को सेहतमंद बनाए रखने में मदद करता है बल्कि कई बीमारियों से बचाव में भी सहायक होता है। इसमें सबसे बड़ी चुनौती होती है नियमित व्यायाम के रूटीन को बनाये रखने की। नियमित व्यायाम के फ़ायदे तो कई हैं लेकिन व्यायाम की नियमितता कई बार दफ्तर तो कई बार घर के कामों के चक्कर में टूटने लगती है। कई बार लापरवाही और उदासीनता भी व्यायाम की नियमितता को भंग कर देती है। तो ऐसे में क्या किया जाए?
इस स्थिति में मिनी वर्कआउट बहुत मददगार साबित हो सकते हैं। ये व्यायाम में निरंतरता बनाए रखने में मदद तो करते ही हैं, आपकी ओवरऑल फिटनेस को भी बनाये रखते हैं। साथ ही इससे आपका काम और रूटीन भी अधिक प्रभावित नहीं होता।तो चलिए जानतें है मिनी वर्कआउट को कैसे कर सकते हैं रूटीन में शामिल। 

सहजता से रूटीन में ढलने वाला वर्कआउट

शोधकर्ताओं के अनुसार एक्सरसाइज का कोई भी रेग्युलर रूटीन सेहत को फायदा ही देता है। मिनी वर्कआउट इसका एक शानदार उदाहरण हैं। खासतौर पर उन लोगों के लिए जो रोजाना आधा-पौन घंटा वर्कआउट के लिए नहीं निकाल सकते। मिनी वर्कआउट टुकड़ों में बंटे एक्सरसाइज के सेशंस होते हैं जो दिनभर में कभी भी अपने हिसाब से अपनाये जा सकते हैं।

मिक्स करने से मिलेंगे अच्छे परिणाम 

छोटे छोटे वर्कआउट के सेशन का मतलब है एक्सरसाइज को टुकड़ों में बांटकर करना। जैसे लगातार आधा या एक घंटा एक्सरसाइज करने या जिम में बिताने की बजाय 10 मिनिट का डांस या एरोबिक्स का सेशन, 5 मिनिट डीप ब्रीदिंग, 10 मिनिट्स तेज चलना, 10 मिनिट सीढ़ियां चढ़ना, 5-5 पुशअप्स या सिटअप्स मारना या 10 मिनिट्स साइकल चला लेना, आदि। मिनी वर्कआउट को इसी तरह मिक्स भी करना चाहिए कि इनमें स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से लेकर, स्ट्रेचिंग और कार्डियो आदि सब कुछ शामिल हो जाए।
उदाहरण के लिए घर के काम करते समय या बच्चों को स्कूल बस तक छोड़ने-लेने जाते समय ब्रिस्क वॉक, स्पॉट जॉगिंग आदि का उपयोग, दफ्तर में सीट पर बैठे-बैठे डीप ब्रीदिंग करना या शाम को बच्चों के साथ 10 मिनिट का एक डांस का सेशन करना, आदि। आप चाहें तो इसमें वेट उठाने, जुम्बा, एरोबिक्स या अन्य कार्डियो ट्रेनिंग को भी शामिल कर सकते हैं। आपको दिनभर में कभी भी मात्र 10 या  5 मिनिट्स का समय 4-5 बार निकालना है जिसमें आप वर्कआउट कर सकें।

कितनी देर का हो सेशन 

मिनी वर्कआउट का एक सेशन 10 मिनिट्स का भी काफी है और ये 10 मिनिट्स आसानी से निकाले जा सकते हैं। बल्कि कई बार तो हम 5-10 मिनिट्स ऐसे ही जाया कर देते हैं, बिना कुछ किये। यदि इसका सदुपयोग सेहत को दुरुस्त रखने के लिए किया जाये तो बेहतर है। कुछ एक्सरसाइज के लिए आप 15 मिनिट्स तक दे सकते हैं जैसे कि सूर्य नमस्कार या एरोबिक्स।

विशेषज्ञ बताते है कि एक हफ्ते में कम से कम कुल 150 मिनिट्स का वर्कआउट सेहत के लिए बहुत सारे फायदे दे सकता है। यदि आप पहले से जिमिंग या वर्कआउट के लिए आधा-एक घंटे का समय दे रहे थे तो उसे तीन-चार टुकड़ों में बाँट लें। ध्यान बस इतना रखना है कि खराब तबियत में, खाने के तुरंत बाद या पहले और देर रात को वर्कआउट नहीं करना है।

इन बातों का भी रखें ध्यान 

  • एक्सरसाइज के साथ संतुलित और पौष्टिक भोजन भी एक अहम् कड़ी है।
  • पर्याप्त नींद लेने और पानी पीने की आदत को बरकरार रखें।
  • यदि आप अधिक वजन घटाना चाहते हैं तो हाई इन्टेन्सिटीवर्कआउट को चुनें और साथ में मिनी वर्कआउट के कुछ सेशन जोड़ लें।
  • खराब तबियत, असंतुलित शारीरिक स्थिति, किसी सर्जरी आदि की स्थिति में बिना डॉक्टर के परामर्श के एक्सरसाइज शुरू न करें।
  • ब्रिस्क वॉक, स्पॉट जॉगिंग या डांस जैसी एक्टिविटीज के लिए सही फुटवेयर का चुनाव करें और दफ्तर हो या घर बिना सही फुटवेयर के एक्सरसाइज करने से बचें।
  • चूंकि मिनी वर्कआउट्स में वार्मअप और कूल डाउन की गुंजाईश नहीं होती इसलिए कोशिश करें कि वर्कआउट की शुरुआत स्पॉट जॉगिंग या ब्रिस्क वॉक से करें। बाद के सेशन में बाकी की एक्सरसाइज शामिल करें। इसी तरह हर सेशन के बाद डीप ब्रीदिंग भी फायदेमंद होगी।

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