खगोलविद ब्रह्माण्ड के मिलने वाले संकेतो का कर रहे अध्ययन

रोचक जानकारी। पिछले कुछ वर्षो में हमारे खगोलविद शुरुआती ब्रह्माण्ड के मिलने वाले संकेत को पकड़ कर उनका अध्ययन करने लगे हैं। इसके लिए वे रेडियो संकेतों का सहारा लेते हैं जो अरबों वर्षो का सफर कर पृथ्वी का सफर करते करते कमजोर हो जाती हैं। दुनिया के शोधकर्ताओं का समूह बिग बैंग के बाद के 20 करोड़ वर्ष के बाद, जिसे वैज्ञानिक कॉस्मिक डॉन कहते हैं, के संकेतों का अध्ययन कर रहा है। इसमें भारत के SARAS3 टेलीस्कोप के जरिए उस दौर की विभिन्न गैलेक्सी के बारे में नए तरीके से जानकारी निकाली है।

किसने किया नया शोध :-
SARAS 3 यानी शेप्ड एंटीना मेजरमेंट ऑफ द बैकग्राउंड रेडियो स्पैक्ट्रम -3 भारत में ही डिजाइन और विकसित किया गया रेडियो टेलीस्कोप है जो उत्तरी कर्नाटक में दांडीगानाहाली झील और शरावती में स्थापित किया गया है। इस अध्ययन में बेंगलुरू के रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI), ऑस्ट्रेलिया के कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (CSIRO) के वैज्ञानिकों ने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और तेल अवीव यूनिवर्सिटी के सहयोगी शामिल थे।

कैसे होता है अध्ययन :-
नेचर एस्ट्रनॉमी जर्नल में प्रकाशित विस्तृत अध्ययन ने गैलेक्सी की पहली पीढ़ी के भार, चमक और ऊर्जा निष्पाद, के बारे में ज्यादा गहरी जानकारी प्रदान की है। शुरुआती गैलेक्सी की विशेषताओं को जानने के लिए वैज्ञानिक सामान्यतः शुरुआती ब्रह्माण्ड के हाइड्रोजन परमाणु द्वारा पैदा किए 21 सेंटीमीटर वाली रेखा के, रेडियो संकेतों का अध्ययन करते हैं।

अध्ययन का नया तरीका :-
यह संकेत सामान्तः गैलेक्सी के आसपास करीब 1420 मेगाहर्ट्ज की आवृत्ति से उत्सर्जित होता है लेकिन ये संकेत बहुत ही धुंधले होते हैं और उनकी पहचान करना शक्तिशाली टेलीस्कोप के लिए भी बहुत कठिन काम होता है। लेकिन इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पहली बार दर्शाया है कि शुरुआती ब्रह्माण्ड की 21 सेंटीमीटर लाइन को पहचाने बिना ही शुरुआती दौर की उन गैलेक्सी का अध्ययन किया जा सकता है।

पहली बार ऐसे नतीजे :-
आरआरआई के पूर्व निदेशक और शोधपत्र के लेखक सुब्रमण्यम ने बताया कि SARAS 3 टेलीस्कोप के जरिए सुपरमासिव ब्लैक होल की शक्ति से संचालित शुरुआती गैलेक्सी की विशेषताओं के बारे में जानकारी मिली है जो बड़ी रेडियो तरंगे उत्सर्जित करती थीं। यह पहली बार है कि औसत 21- सेंटीमीटर लाइन वाले रेडियो अवलोकन से इस तरह के नतीजे हासिल किए जा सके हैं।

SARAS 2 और SARAS 3 में अंतर :-
जहां SARAS 2 ने पहले शुरुआती तारों और गैलेक्सी की विशेषताओं की जानकारी दी थी, SARAS 3 ने एक कदम आगे जाकर कॉस्मिक डॉन की समझ को बढ़ाया है। उससे मिले आंकड़ों से पता चला है कि शुरुआती गैलेक्सी का 3 प्रतिशत से भी कम का गैसीय पदार्थ तारों में बदल सका था और शुरुआती गैलेक्सी एक्स रे और रेडियो उत्सर्जन के मामले में बहुत ही चमकदार हुआ करती थीं।

शक्तिशाली उत्सर्जन :-
इन्हीं शक्तिशाली उत्सर्जनों से इन शुरुआती गैलेक्सी के अंदर और उनके आसपास का पदार्थ गर्म हो गया था। इन्हीं आकड़ों की वजह से अब वैज्ञानिक इन गैलेक्सी के भार की जानकारी निकालने में सक्षम हो गए हैं। इसके साथ ही वे गैलेक्सी के द्वारा उत्सर्जित रेडियो, एक्स रे और पराबैंगनी तरंगों  के ऊर्जा निष्पाद को भी जान पा रहे हैं।

इतना ही नहीं वे फिनोमिनोलॉजिकल प्रतिमान का उपयोगकर वे रेडियो तरंगों के अतिरिक्त विकिरण की ऊपरी सीमा का भी निर्धारण करने में सफल रहे हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह खोजों के दशक की उनका शुरुआती कदम है जिससे पता चल सकता है कि कैसे ब्रह्माण्ड खालीपन और अंधेरे से तारों, गैलेकस्सी और अन्य खगलोयी पिंडों का जटिल संसार बन गया जिसे हम आज पृथ्वी से देख पाते हैं।

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