पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ऊधौ- दम क्या है ? श्री कृष्ण – “दमः इन्द्रियसंयमः” इंद्रियों का संयम ही दम है। संयम को दम से ही भगवान् ने इंगित किया है। बुद्धि को सम रखने के लिए तो इंद्रियों को विषयों से मोड़ो। दस इंद्रियों के विषयों की सूची बड़ी लंबी है। जीव कभी इनकी मांग पूरी नहीं कर सकता। विषयासक्त मन और बुद्धि इंद्रियों को तृप्त करने में लगे रहते हैं, परंतु आज तक तृप्त नहीं कर पाये। शरीर पूरा हो जाता है पर इच्क्षाएं, कामनाएं पूरी नहीं होती। अतः इंद्रियों के पीछे दौड़ना मूर्खता है, इनको तो बस में करना चाहिए। भगवान् आद्य शंकराचार्य के शिष्य ने पूछा, ‘ व्यक्ति का सबसे बड़ा मित्र और शत्रु कौन है? उनका स्पष्ट उत्तर था, “निजेन्द्रियाणि “। व्यक्ति की अपनी इंद्रियां ही उसकी सबसे बड़ी मित्र और शत्रु हैं। असंयमित इंद्रियां जीव की प्रबल शत्रु है जो उसे विनाश की ओर ले जाती हैं और संयमित इंद्रियां ईश्वर से मिला देती हैं और प्रकाश की ओर ले जाती है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।