ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शंकर हैं भगवती के सिंहासन के पाये: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ब्रह्मा जी ने बताया कि भगवती ही सर्वोपरि तत्व है, उनसे ही हम सब पैदा हुए हैं। हम सब पूरे अनंत ब्रह्मांड के जीवों को किसी ने पैदा तो किया होगा? कोई तो संसार को उत्पन्न करने वाली माँ होगी? बिना मां के पुत्र कैसे आ जायेगा? सबकी ही कोई मां होगी, ब्रह्मा विष्णु और महेश प्रगट हुए हैं, इनकी भी कोई मां होगी? वह भुवनेश्वरी भगवती त्रिपुर सुंदरी दुर्गा ही सबकी मां है ,इसीलिए आरती में गाया जाता है।

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि, ब्रह्मा, शिवजी। ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी भगवती का निरंतर ध्यान करते हैं। एक सिंहासन बनाया गया था, जो बड़ा भव्य और दिव्य था। उस सिंहासन के चार पाए थे। वे पाए लकड़ी या सोने-चांदी के नहीं थे। ब्रह्मा ही एक पाया बनकर बैठ गए, विष्णु दूसरा पाया, रूद्र तीसरा पाया और ईश्वर चौथा पाया बन गये। उस पर सदाशिव लेट गये, उनका बिस्तर बन गया। अब इस सिंहासन पर जो बैठ जाये वह सबसे बड़ा होगा। अब इस पर कौन सा देवता बैठेगा? कोई नहीं आया। देवी भागवत में लिखा है कि उस समय परांबा भगवती महामाया त्रिपुर सुंदरी दिव्य रूप धारण करके प्रगट हुईं, और आकर सिंहासन पर विराजमान हो गईं।

अर्थात भगवती के सिंहासन के पाये ब्रह्मा विष्णु और शंकर हैं। पराम्बा भगवती त्रिपुर सुंदरी जब सिंहासन पर बैठती हैं, तब लक्ष्मी और सरस्वती उन्हें पंखा झलती हैं। मां जगदंबा सर्वोपरि तत्त्व हैं, इसीलिए कृष्ण से पहले राधा का स्मरण, राम से पहले सीता का स्मरण और नारायण से पहले लक्ष्मी का स्मरण होता है। जो बड़ा है, उसका स्मरण पहले होता है। जैसे- सीता-राम, राधे-श्याम, लक्ष्मी-नारायण।

सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा,(उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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