Best Leaf To Reduce Cholesterol: इस समय लगभग हर दूसरे तीसरे घर में कोलेस्ट्रॉल की समस्या से परेशान लोग देखने को मिलते है। हर उम्र के लोग में कोलेस्ट्रॉल से ग्रस्ति हो रहे है। ऐसे में यदि कोलेस्ट्रॉल की मात्रा सामान्य से ज्यादा हो जाए, तो हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसे बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल और बेहतर खान-पान जरूरी होता है। कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए दवाओं के अलावा कुछ घरेलू नुस्खे भी बेहद कारगर साबित हो सकते हैं। आपको बता दें कि कुछ पौधों के पत्तों में औषधीय गुण होते हैं, जिनका सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल को कम करने में काफी मदद मिल सकती है। तो चलिए जानते उन पत्तों के बारे में जो कोलेस्ट्रॉल के मरीजों के लिए रामबाण हो सकते हैं।
मेथी के पत्ते
हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीजों के लिए हरी मेथी खाना बेहद ही फायदेमंद है। हेल्थलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, मेथी के पत्तों में मौजूद पोषक तत्व कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। माना जाता है कि स्टेरॉइडल सैपोनिन कोलेस्ट्रॉल अवशोषण और संश्लेषण को रोकता है, जबकि फाइबर ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए भी हरी मेथी को लाभकारी माना जा सकता है। इसके साथ ही मेथी दाना और मेथी पाउडर भी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है।
करी पत्ता
करी पत्ते का इस्तेमाल अक्सर खाने-पीने की चीजों में किया जाता है। वहीं, करी पत्ते को कोलेस्ट्रॉल कम करने में भी मददगार माना जाता है। करी पत्ता का सेवन करने से हाई कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड का लेवल कम करने में मदद मिलती है। डाइट में करी पत्ते को शामिल करने से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी कम हो सकता है। करी पत्ता का सेवन करने से हार्ट हेल्थ को मजबूती मिल सकती है। करी पत्ता दिल और दिमाग दोनों के लिए अच्छा होता है।
तुलसी के पत्ते
तुलसी के पत्तों को आयुर्वेद में भी कई बीमारियों के इलाज के लिए फायदेमंद बताया गया है। तुलसी के पत्तों में पाए जाने वाले एसेंशियल ऑयल हाई कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने में मदद करते हैं। इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल कम होता है जिससे हार्ट को मजबूती मिलती है। तुलसी के पत्तों में मैग्नीशियम भी भरपूर मात्रा में होता है, जो ब्लड वेसल्स को रिलैक्स करता है। इससे खून की धमनियों में ब्लड फ्लो बेहतर हो सकता है। ऐसा होने से कई हार्ट डिजीज का खतरा भी कम हो सकता है।