Deepfake: आज के इस बढ़ती टेक्नॉलाजी के दुनिया में डीपफेक का मामला लगातार बढ़ता जा रहा है. इसको लेकर हाल ही में किए गए सर्वे में पता चला है कि हर 4 में से 1 शख्स डीपफेक कॉन्टेंट का सामना कर रहा है. कई सेलिब्रिटी से लेकर क्रिकेटर, पॉलिटिकल लीडर भी Deepfake कॉन्टेंट के शिकार हो चुके है. ऐसे में ही केन्द्र सरकार ने डीपफेक या AI जेनरेटेड कॉन्टेंट को लेकर सख्त कार्रवाई की है. बता दें कि भारत में डीपफेक कॉन्टेंट का प्रचार-प्रसार करने पर भारी जुर्माने का प्रावधान तो हैं ही इसके साथ ही आपको जेल भी जाना पड़ सकता है.
Deepfake: McAfee का सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े
बता दें कि भारत में ज्यादातर Deepfake कॉन्टेंट का इस्तेमाल साइबर फ्रॉड और अफवाह फैलाने के लिए किया जाता है और यूजर्स भी उन्हें सच मानकर उसके शिकार हो जाते है. McAfee द्वारा हाल में किए गए सर्वे के मुताबिक, करीब 64 प्रतिशत लोगों का कहना है कि AI द्वारा होने वाले साइबर फ्रॉड में असली और नकली की पहचान करना ही बेहद मुश्किल है.
Deepfake को लेकर क्या है कानून?
वहीं, भारत में Deepfake को लेकर सख्त कानून बनाए गए हैं. इसमें IT Act 66E और IT Act 67 के तरह किसी भी कॉन्टेंट को ऑनलाइन शेयर करने पर जुर्माने के साथ-साथ जेल जाने का भी प्रावधान है. इसके अनुसार, यदि किसी शख्स का उसके अनुमति के बिना ही फोटो या वीडियो सोशल मीडिया में पर पब्लिश किया जाता है, तो ऐसे में उस व्यक्ति को 2 लाख रूपये के जुर्माने के साथ 3 साल तक की जेल हो सकती है.
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10 लाख रूपये के जुर्माने के साथ 10 साल की जेल
वहीं, IT Act 67 के अनुसार, किसी भी शख्स की अश्लील फोटो बनाए जाने या फिर शेयर करने पर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना और 3 साल की जेल की सजा भुगतनी पड़ सकती है. वहीं, बार-बार वही गलती दोहराने पर 5 साल तक की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है.
भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई
हालांकि साल 2023 में केन्द्र सरकार ने सोशल मीडिया इंटरमीडियरिज (SMI) से डीपफेक और AI जेनरेटेड कॉन्टेंट को लेकर कहा था कि वो डीपफेक कॉन्टेंट की पहचान करें और उनपर सख्त ऐक्शन लें. इसके साथ ही किसी भी Deepfake कॉन्टेंट के रिपोर्ट होने पर उसे सोशल और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से रिपोर्ट के 36 घंटे के अंदर हटाया जाना चाहिए, वरना उस प्लेटफॉर्म पर भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई की जा सकती है.
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कैसे करें Deepfake कॉन्टेंट की पहचान?
दरअसल, डीपफेक और AI जेनरेटेड कॉन्टेंट की पहचान करना एक आम यूजर के लिए काफी मुश्किल है. हालांकि, यदि यूजर सतर्क रहे तो डीपफेक कॉन्टेंट से बचा जा सकता है.
- ऐसे में सोशल मीडिया पर शेयर किया गया कोई कॉन्टेंट अजीब लगे या फिर कोई जान-पहचान का शख्स आपसे फोन कॉल पर अजीब डिमांड करें तो यह फर्जी हो सकता है. सावधान रहें.
- वहीं, इस तरह के सोशल पोस्ट को भावनाओं में बहकर शेयर न करें और न ही किसी परिचित की आवाज सुनकर मदद करने की कोशिश करें.
- इसके अलावा, किसी भी AI जेनरेटेड डीपफेक वीडियो की पहचान वीडियो में दिखाए जा रहे शख्स के चेहरे, उंगलियों और आवाज पर केंद्रित करने पर की जा सकती है.
रिवर्स मशीन लर्निंग AI भी हो रहा तैयार
फिलहाल, AI जेनरेटेड डीपफेक की पहचान के लिए रिवर्स मशीन लर्निंग AI भी तैयार किया जा रहा है, जिससे डीपफेक की जांच करना काफी आसान हो जाएगा. इसके साथ ही डीपफेक कॉन्टेंट शेयर करने वाले अपराधियों के लोकेशन को भी ट्रैक करने में सुविधा होगी.
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