New Crime Laws: भारत में अंग्रेजों के समय से चली आ रहे तीन आपराधिक कानून 1 जुलाई से बदल जाएंगे. ये तीनों कानून दिसंबर 2023 में संसद द्वारा पारित किए गए थे. ये नए कानून (New Crime Laws) भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के नाम से जाने जाएंगे, जो क्रमश: भारतीय दंड संहिता (1860), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (1898) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) का स्थान लेंगे.
New Crime Laws: भारतीय न्याय संहिता में क्या बदला है?
दरअसल, भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में महज 358 धाराएं ही रह गई हैं. कानून संहिता में संशोधन के माध्यम से इसमें (New Crime Laws) 20 नए अपराध शामिल किए हैं, तो 33 अपराधों में सजा अवधि बढ़ाई है. जबकि 83 अपराधों में जुर्माने की रकम भी बढ़ाई है.
बता दें कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को 12 दिसंबर 2023 को केंद्र सरकार ने लोकसभा में तीन संशोधित आपराधिक विधियकों को पेश किया था, जिसे लोकसभा ने 20 दिसंबर, 2023 को और राज्यसभा ने 21 दिसंबर, 2023 को मंजूरी दी.
New Crime Laws: 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी
राज्यसभा में विधेयकों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए जाने के बाद ध्वनि मत से पारित किया गया था. जिसके बाद 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद विधेयक कानून (New Crime Laws) बन गए लेकिन इनके प्रभावी होने की तारीख 1 जुलाई, 2024 रखी गई.
New Crime Laws: अहम धाराओं में बदलाव
धारा 124:– आईपीसी की धारा 124 राजद्रोह को एक नया शब्द ‘देशद्रोह’ मिला है. भारतीय न्याय संहिता में अध्याय 7 में राज्य के विरुद्ध अपराधों कि श्रेणी में ‘देशद्रोह’ को रखा गया है.
धारा 144:– घातक हथियार से लैस होकर गैरकानूनी सभा में शामिल होना के लिए सजा आईपीसी की धारा 144 जो अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 187 हो गया है, जिसे भारतीय न्याय संहिता के अध्याय 11 में सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में रखा गया है.
धारा 302:- धारा 302 के तहत किसी की हत्या करने वाले को आरोपी बनाया जाता था. हालांकि, अब ऐसे अपराधियों को धारा 101 के तहत सजा मिलेगी. नए कानून के मुताबिक, भारतीय न्याय संहिता के अध्याय 6 में मानव शरीर को प्रभावित करने वाले अपराध कहा जाएगा.
धारा 307:- नए कानून के तहत हत्या करने के प्रयास में दोषी को आईपीसी की धारा 307 के बजाए अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 109 के तहत सजा सुनाई जाएगी. इस धारा को भी अध्याय 6 में रखा गया है.
धारा 376:- वहीं दुष्कर्म से जुड़े अपराध मामले में आईपीसी की धारा 376 के जगह पर अब धारा 63 में परिभाषित किया गया है। वहीं सामूहिक दुष्कर्म को आईपीसी की धारा 376 डी को नए कानून में धारा 70 में शामिल किया गया है. भारतीय न्याय संहिता में इसे अध्याय 5 में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में जगह दी गई है.
धारा 399:- मानहानि के मामले में धारा 399 इस्तेमाल की जाती थी, लेकिन अब नए कानून में अध्याय 19 के तहत आपराधिक धमकी, अपमान, मानहानि, आदि को भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 में रखा गया है.
धारा 420:- इसके अलावा, भारतीय न्याय संहिता में धोखाधड़ी या ठगी का अपराध 420 में नहीं, अब धारा 316 के तहत आएगा. इस धारा को भारतीय न्याय संहिता में अध्याय 17 में संपत्ति की चोरी के विरूद्ध अपराधों की श्रेणी में रखा गया है.
CRPC और साक्ष्य अधिनियम में बदलाव
वहीं, दंड प्रक्रिया संहिता यानी CRPC की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ने ले ली है. CRPC की 484 धाराओं के बदले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं. बता दें कि नए कानून के तहत 177 प्रावधान बदले गए हैं जबकि नौ नई धाराएं और 39 उपधाराएं भी जोड़ी गई हैं. इसके अलावा 35 धाराओं में समय सीमा तय की गई है.
इसके अलावा, नए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 प्रावधान हैं. इससे पहले वाले कानून यानी CRPC में 167 प्रावधान थे. जकि नए कानून में 24 प्रावधान बदले हैं.
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