जब जीवन में अंतिम जन्म होता है, तभी भगवान श्रीकृष्ण से उसका अत्यंत स्नेह होता है: दिव्‍य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्रीशुकदेवजी ने कहा, परीक्षित चार दिन बीत गये, तुमने जल भी ग्रहण नहीं किया. परीक्षित जी ने निर्जला भागवत सप्ताह की कथा सुनी थी. शुकदेव जी ने कहा कि जलपान ग्रहण कर लो फिर आगे की कथा सुनायेंगे. परीक्षित ने कहा, भगवान! आपके मुख से जो कथा रूपी अमृत बरस रहा है, इसे कानों के द्वारा पी पीकर ऐसी तृप्ति हो रही है कि न भूख लग रही है न प्यास लग रही है, आप सुनाते रहिये, मैं सुनता रहूं और तब तक सुनता रहूं जब तक अंतिम श्वांस है.

शुकदेव जी ने कहा,  परीक्षित! तुम राजर्षियों में श्रेष्ठ हो. आज से तुम ऋषियों में स्थान प्राप्त कर गये. जिस व्यक्ति का मन श्रीकृष्ण के चरणों में लोटपोट हो गया, आसक्त हो गया, वह उसका अंतिम जन्म होता है. जब जीवन में अंतिम जन्म होता है, तभी भगवान् श्रीकृष्ण से उसका अत्यंत स्नेह होता है. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश), श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर(राजस्थान)

इसे भी पढ़े:-  पीएम मोदी ने किया सेमिकॉन इंडिया 2024 का उद्घाटन, कहा- आज भारत बन चुका है 5जी हैंडसेट का सबसे बड़ा बाजार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *