UP: अवैध धर्मांतरण मामले का आरोपी जमालुद्दीन उर्फ छांगुर के मददगारों का पता एटीएस को लग गया है. ये मददगार कोई आम आदमी नहीं बल्कि यूपी सरकार के चार अफसर हैं. हालांकि अभी ATS को सबूतों की तलाश है, इसके बाद ही उनकी गिरफ्तारी हो सकती है.
अधिकारियों भूमिका पाई गई संदिग्ध
एसटीएफ की गोपनीय जांच में 2019 से 2024 के बीच बलरामपुर में तैनात रहे एक एडीएम, दो सीओ और एक इंस्पेक्टर की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. ये चारों अफसर छांगुर के एक इशारे कुछ भी करने को तैयार रहते थे. एजेंसियां ये तस्दीक कर रही हैं कि छांगुर ने सिर्फ फंसाने के लिए इन अफसरों का नाम लिया है या इनकी वाकई कोई भूमिका है. सबूत मिलते ही इन चारों अफसरों पर कार्यवाही होगी. वहीं बुधवार को छांगुर और नीतू उर्फ नसरीन की कस्टडी रिमांड खत्म हो रही है. शाम 6 बजे तक दोनों आरोपियों को जेल में दाखिल कर दिया जाएगा.
छांगुर बाबा के 3000 अनुयायी
इससे पहले यूपी एटीएस की पूछताछ में खुलासा किया था कि कि छांगुर बड़े पैमाने पर देश में धर्मांतरण करवाने के लिए अनुयायियों की पूरी फौज उतार दी थी. धर्मांतरण के लिए छांगुर बाबा ने मैदान में 3000 अनुयायी सहयोग कर रहे थे. गिरोह का जाल यूपी, बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र तक फैला था.
युवतियों के बारे में जुटाते थे जानकारी
छांगुर ने अपने बेटे महबूब के साथ धर्म परिवर्तन करने वाले नवीन को लगाया था और उसे पूरे अभियान का लीडर बनाया था. शिजर-ए-तैय्यबा’ छांगुर पूरे देश में आबादी को बढ़ाने के मिशन पर काम कर रहा था. जो तकनीकी सहयोग करता था. छांगुर को हिंदू युवतियों के बारे में रिपोर्ट देने के लिए एक टीम काम कर रही थी, जो आम आदमी की तरह घूमकर जानकारी जुटाते थे और फिर छांगुर को पूरी डिटेल देते थे. इसके बाद जिलों में काम पर अनुयायियों को छांगुर लगाता था. नेपाल में बैठकर छांगुर का गिरोह ISI के भी संपर्क में था.
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