Varanasi: वाराणसी में गंगा का जलस्तर अब खतरे के निशान के बेहद करीब पहुंच चुका है. जो 4 से 5 सेमी की रफ्तार से बढ़ रहा है. इसके साथ ही सहायक नदी वरुणा में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है जिसकी वजह से सबसे ज्यादा रिहायशी क्षेत्र के लोग प्रभावित होते हैं . इस वर्ष जुलाई के प्रथम सप्ताह में ही गंगा के बढ़ते जलस्तर की वजह से काशी में लोगों की धड़कनें बढ़ी हुई है.
डूब चुके हैं 84 घाट
वाराणसी के अस्सी से लेकर राजघाट तक स्थित घाट एक-दूसरे से पूरी तरह कट चुके हैं. बाकी 84 घाट भी आधे से ज्यादा डूब चुके हैं. कई घाटों पर भी महज कुछ सीढ़ियां ही बची हैं. अस्सी घाट भी पूरी तरह जलमग्न है. अब घाट से गंगा गलियों में आने के लिए आतुर नजर आ रही है. हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट भी पूरी तरफ डूब चुके हैं.
वरुणा में भी पलट प्रवाह
गंगा में उफान के कारण वरुणा नदी भी उफान पर है. हाल ये है की पलट प्रवाह के कारण कई इलाकों में वरुणा का पानी लोगों के घरों तक आ पहुंचा है. वरुणा से सटे सरैया, कज्जाकपुरा, कोनिया सहित कई इलाकों में लोगों ने पलायन भी शुरू कर दिया है. उधर, गंगा के तटवर्ती इलाकों में रहने वालों में भी खलबली है.
1 सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ाव जारी
केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, वाराणसी में गंगा का जलस्तर बुधवार की सुबह 8 बजे 68.92 मीटर रिकॉर्ड किया गया. वहीं फिलहाल 1 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से वाराणसी में गंगा बढ़ रही है.अनुमान है अगले 24 घंटे में गंगा का बढ़ाव थम सकता है. बताते चलें कि वाराणसी में गंगा का वार्निंग लेबल 70.26 मीटर है. जबकि उच्चतम बाढ़ बिंदु 73.90 मीटर है, जो 1978 में दर्ज किया गया था.
गंगा तटवर्ती क्षेत्रों का दैनिक कामकाज हुआ प्रभावित
बढ़ते गंगा के जलस्तर की वजह से कुछ दिन पहले से ही विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती छत पर संपन्न कराई जा रही है. इसके अलावा दूर दराज से आने वाले लोग अपने परिजनों का शवदाह भी घाट के छत पर कर रहे हैं. पहले ही सभी घाटों का आपसी संपर्क टूट चुका है. ऐसे में गंगा के बढ़ते जलस्तर की वजह से तटवर्ती क्षेत्र के लोगों के लिए आने वाले 48 घंटे बेहद चुनौतीपुर्ण बताए जा रहे हैं.
प्रशासन ने की तैयारी
जिलाधिकारी और नगर आयुक्त ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर राहत कार्य तेज करने के निर्देश दिए हैं. अधिकारियों ने बताया कि गंगा जलस्तर यदि ऐसे ही बढ़ता रहा तो तटीय गांवों में रिलीफ कैंप सक्रिय करने होंगे. जिला प्रशासन ने हालात को देखते हुए काशी के बाढ़ प्रभावित इलाकों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 8 टीमें तैनात की हैं. कंट्रोल रूम 24 घंटे सक्रिय है. बाढ़ राहत केंद्रों की स्थापना की गई है, जहां सूखा राशन, दवा, शुद्ध पेयजल और मोबाइल हेल्थ यूनिट तैनात हैं.
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