Ballia: नगर के टाउन डिग्री कालेज मैदान में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह के संकल्प से चल रहे श्रीराम कथा में सातवें दिन प्रेम भूषण जी महाराज ने श्रीराम चरित्र का वर्णन किया। सातवें दिन प्रेमभूषण जी महाराज ने अयोध्याकांड के अंतर्गत श्रीराम के राज्याभिषेक की तैयारी, केकई का कोप भवन में जाना, रामचंद्र जी की सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ वन के लिए गमन, राम केवट संवाद से लेकर प्रयागराज तक पहुंचने की कथा को विस्तार से आधुनिक परिवेश को समाहित करते हुए समझाया।
उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम जो स्वयं जगत के पालनहार हैं, जगत के रचयिता हैं, वे विश्व में सभी प्रकार के कष्टों का निवारण करते हैं उसके बावजूद मानव जगत के कल्याण और राक्षसों के नाश के लिए उन्होंने एक आम इंसान जैसा जीवन जिया। साथ ही उन्होंने एक आदर्श जीवन कैसे जीना चाहिए, इसका भी संदेश दिया। कहा कि राज पद और राम पद में जब चर्चा होने लगे तो भक्त तो रामपद को पकड़ता है लेकिन खलमंडली के लोग राजपद के लिए दौड़ते हैं।
कथा के अन्य प्रसंगों में महाराज ने कहा दायित्वों को पालन करने का अवसर आए तो पहले अपनी योग्यता पर विचार कर लेना चाहिए यदि हम योग्य हैं तो ही दायित्वों का निर्वाह करना चाहिए। जीव जिसकी जितनी योग्यता है उसको अपना पथ चुनना चाहिए, क्षमता से अधिक का कार्य कभी चुनना नहीं चाहिए।
एक शब्द में कहा कि प्रेम सार है बाकी सब बेकार है। कहा प्रभु श्रीराम जी का चरित्र समुद्र से भी विशाल है। राम और भरत के प्रेम का वर्णन करते हुए कहा धर्म में अर्थ का प्रवेश नहीं करने देना चाहिए। अर्थ में 15 दुर्गुण हैं। यदि धर्मशीलता जीवन में नहीं आई तो अर्थ केवल बुराई लेकर आता है। व्यास पीठ की पूजा परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह की माताजी तेतरी देवी, अनुज धर्मेंद्र सिंह व इनकी पत्नी सारिका सिंह आदि ने किया।