Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि यमुना से कालिया नाग का निकालना अर्थात् हृदय से विषय रूपी जहर को निकालना है. भगवान ने कालिया नाग का दमन किया है, जो मौत का प्रतीक भी है और वासना का प्रतीक भी है. विष और विषय कालिया नाग के अंदर विष है और मनुष्य के अंदर विषय है. विषय और विष में साम्यता है. एक ही अक्षर ज्यादा है विषय और विष में. कालिया नाग का विष जिसे स्पर्श कर जाये उसे मार देता है और मनुष्य के जीवन में जो विषय हैं वह भी विष के समान हैं जो जीव को तड़पा-तड़पा कर मार देते हैं.
कालिया नाग यमुना के हृदय में रहता है और विषय मनुष्य के हृदय में रहते हैं. यमुना का हृद और मनुष्य का हृदय, समानता है न, काम मनुष्य के हृदय में रहता है और कालिया नाग भी यमुना के हृदय में रहता है और इसका विष जब चढ़ता है तो तत्काल खत्म कर देता है, लेकिन विषय रूपी जहर धीरे-धीरे चढ़ता है और एकदम नहीं मारता, तड़पा तड़पा कर मारता है, इसीलिए यह विष से भी ज्यादा खतरनाक है.
भगवान कालिया नाग को निकाल कर बाहर करते हैं, इसका संकेत यह है कि जो भक्त भगवान का भजन करेंगे, उसके हृदय से काम को निकाल कर बाहर कर दूंगा, ताकि उसका जीवन विषयों से मुक्त हो जाये.
उसके जीवन में वासना का लेष भी न रहे. वासना सुख देती है लेकिन दुःख देने के लिए सुख देती है. विषय को जो सुख देते हैं, वे सदा सुखी रहने की लिए सुख नहीं देते, मारने के लिए सुख देखते हैं. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश), श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर(राजस्थान)