तीर्थ की पवित्र भूमि में किया गया सत्कर्म होता है अधिक श्रेयस्कर: दिव्‍य मोरारी बापू    

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि बाण-शय्या पर पड़े हुए भीष्म को श्री कृष्ण ने कहा, ” आपने कभी पाप नहीं किया है, इसलिए अन्तकाल में मिलने के लिए आया हूँ, परन्तु दुर्योधन की सभा में दुःशासन के हाथों द्रोपदी के वस्त्र खींचे जाने के पाप कर्म को आपने देखा है और उसे रोका नहीं, इसलिए आपको यह सजा मिल रही है। अपने कुल की पुत्रवधू के साथ अन्याय का आचरण होता रहे और आप उसे उपेक्षा भाव से देखें, यह क्षम्य नहीं है।पापी दुर्योधन के घर का अन्न खाने से आपकी बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी, इसलिए उस राज्यसभा में आप चुपचाप बैठे रहे।

यदि किसी सभा में पापकर्म होता है और उस समय आप वहाँ बैठे हो तो उस पापकर्म में आपकी भी सम्मति है – ऐसा माना जायेगा और उसका पाप आपको भी लगेगा। किसी का भी पाप न देखो और न सुनो, अन्यथा वह पाप आपको भी भ्रष्ट बनाएगा। तीर्थ की पवित्र भूमि में किया गया सत्कर्म अधिक श्रेयस्कर होता है।

सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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