Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि ज्ञान हम सबका स्वरूप है। स्वरूप का कभी अभाव हो ही नहीं सकता। इसलिए अज्ञान, ज्ञान का अभाव नहीं, मगर अप्रगट ज्ञान है। दीप तैयार है, उसे केवल प्रगट करने का पुरुषार्थ करना बाकी है। इस पुरुषार्थ में प्रभु की कृपा हम सबके साथ है।
आइये, हम सब ज्ञानदीप को प्रकट करने का संकल्प करें। यह संकल्प हमारे आंतरिक जगत को उज्जवल करेगा और
व्यक्ति-व्यक्ति के बीच में जो फासला है, वह कम हो जायेगा। बिना खिले और बिना खुले महकोगे कैसे? गुलाब के साथ कांटे समस्या नहीं है। देखा जाये तो वह गुलाब की सुरक्षा की व्यवस्था है। दुःख भी सुख की सुरक्षा की व्यवस्था का नाम है। भेद, दृष्टि का है। कोई गुलाब में कांटों को देखा है और कोई कांटों में गुलाब को। पहला निराशावादी है, दूसरा आशा एवं उत्साह से भरा है।
संसार के इस चमन में हम सब भी कठिनाइयों, संकटों के कंटकों के बीच मुस्कुरा रहे हैं। सुख एवं आनंद के गुलाब की ओर दृष्टि करें तो जीवन की बगिया महकेगी और सुख की चिड़िया चहकेगी। जीवन में आनंद का आगमन होगा। अंधकार को देख निराश न हो। दीप जलाने में चेतना को केंद्रित करो। दीप प्रगट हुआ कि युगों का अंधकार समाप्त हो जायेगा।
सद्गुरु कृपा से ज्ञानदीप प्रदीप्त हुआ की जनम जनम की
अज्ञानांधकार का अंत हो जायेगा। उस दिव्य तेज में अपने परमप्रिय प्रभु को निहार आनंद में मग्न होना है। उत्सव ही उत्सव। यही नूतन जीवन। नूतन वर्षाभिनंदन, नूतन जीवनाभिनंदन।।
भगवान श्रीकृष्ण गीता में अर्जुन के माध्यम से हम सभी को योगी बनने का संदेश देते हैं और उसके उपाय भी बताते हैं। योगी होने के लिये उपयोगी बनना जरूरी है। इसके लिये जीवन में प्रेम, त्याग और सेवा की जरूरत है।
1- प्रेम द्वारा प्रभु के लिये उपयोगी बनो।
2- त्याग द्वारा अपने आप के लिये उपयोगी बनो।
3- सेवा द्वारा समाज के लिये उपयोगी बनो। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।