Ghazipur Literature Festival 2025 : आज गाजीपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 का समापन हुआ. इसकी शुरुआत वाराणसी के होटल द क्लार्क्स में शुक्रवार को गरिमामय माहौल में हुई थी. इसके साथ ही शनिवार को गाजीपुर की ऐतिहासिक धरती साहित्य, संस्कृति और संवाद के रंगों से सराबोर हो गई. बता दें कि यह आयोजन सिर्फ साहित्य का उत्सव नहीं था बल्कि भारतीय चेतना और आजादी के मूल्यों पर गहन चर्चा का मंच भी बना.
उपेंद्र राय का गर्व और गाजीपुर की पहचान
जानकारी के मुताबिक, भारत एक्सप्रेस के सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने अपने संबोधन में कहा कि लोग अक्सर गाजीपुर में पैदा होने वालों को बनारस से जोड़ देते हैं. ऐसे में उन्होंने गर्व से कहा कि उन्होंने हमेशा गाजीपुर और शेरपुर को ही अपनी पहचान बताया. इसके साथ ही उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम की यादों को ताजा करते हुए बताया कि उनके गांव में करीब 200 लोगों को स्वतंत्रता सेनानी के रूप में पेंशन दी गई थी और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उनके परिवार के कई लोग शामिल थे.
दक्षिण अफ्रीका के नेता नेल्सन मंडेला ने गांधी से ली प्रेरणा
उन्होंने ये भी कहा कि आज़ादी की लड़ाई में महात्मा गांधी का योगदान सबसे बड़ा था. भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत भी गांधी जी ने ही की थी. उन्होंने यह भी याद दिलाया कि जब जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री बने, तब गांधी जी दिल्ली की हरिजन बस्ती में झाड़ू लगा रहे थे. इतना ही नही बल्कि दक्षिण अफ्रीका के नेता नेल्सन मंडेला ने भी गांधी से प्रेरणा लेकर 27 साल जेल में बिताए और अपने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया.
अमेरिका-भारत की तुलना
ऐसे में अमेरिका का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका दुनिया का सबसे अमीर देश है और पूंजीवाद में जगतगुरु बन गया है. लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि अध्यात्म के क्षेत्र में जगतगुरु बनने का दावा भारत के पास था और आज भी है. भारत की ताकत उसकी आध्यात्मिक चेतना है, जो स्वतंत्रता को सबसे बड़ा मूल्य मानती है.
‘आजादी सिर्फ प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बनने तक सीमित नहीं’
ऐसे में सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ ने कहा कि आजादी सिर्फ प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बनने तक सीमित नहीं है. उन्होंने असली आजादी का महत्व बताते हुए कहा कि हम अपने चुनाव से शादी कर सकें, पढ़ाई कर सकें, यात्रा कर सकें और अपनी राय खुलकर रख सकें. उन्होंने अपनी शादी का उदाहरण देते हुए बताया कि उनके माता-पिता शादी में शामिल नहीं हुए क्योंकि उन्होंने वैश्य परिवार की लड़की से विवाह किया था.
लिटरेचर फेस्टिवल 2025 ने किया साबित
उन्होंने कहा कि आज हम ग्लोबल विलेज में रहते हैं. उन्होंने बताया कि हमारी चुनौतियां अलग हैं और संघर्ष भी मूलभूत हैं लेकिन यह तथ्य कि हम बैठकर अपनी समस्याओं पर चर्चा कर पा रहे हैं, यह इस बात का संकेत है कि भारत ने आजादी के बाद की आजादी की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं.
गाजीपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 ने यह साबित किया कि साहित्य सिर्फ किताबों के साथ समाज, संस्कृति और आजादी के मूल्यों पर गहन संवाद का माध्यम है. इसके साथ ही सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय के विचारों ने यह स्पष्ट किया कि आजादी का असली अर्थ आत्मिक और सामाजिक स्वतंत्रता है. महावीर और बुद्ध की शिक्षाओं से लेकर गांधी और मंडेला के संघर्ष तक, यह फेस्टिवल भारतीय चेतना की गहराई और आधुनिक जीवन मूल्यों की सार्थकता को उजागर करता है.