Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि जीवन का प्रत्येक क्षण मूल्यवान है- मानव शरीर मूल्यवान है, हमारे श्वांस कीमती हैं। मृत्यु की घड़ी को रोकने के लिए यदि कोई अपनी सारी सम्पदा लुटाना चाहेगा तो भी शाक्य नहीं होगा। जीवन का प्रत्येक क्षण मूल्यवान है। ईर्ष्या द्वेष में उसे खोने न दें। चार पुरुषार्थ की सिद्धि के लिये तो जीवन है। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष ये चार पुरुषार्थ हैं। धर्म का हेतु मोक्ष है, धन वृद्धि के लिये नहीं, धर्माचरण में आस्था रखने वाले सौराष्ट्र के भक्त कवि नरसी मेहता ने कहा है- हे प्रभु आप निर्धन का धन हो।
अर्थ खराब नहीं है, आसक्ति खराब है। अपराधों का वर्गीकरण किया जाये तो ज्यादातर अर्थ और काम सम्बन्धी ही होगा। धर्म और मोक्ष के बीच अर्थ और काम को रखें। नदी अच्छी या खराब? नदी अच्छी तब है जब मर्यादा में रहकर दोनों किनारों को सुरक्षित रखती है, किनारों की मर्यादा तोड़कर फसल को बहने वाली सरिता कल्याणकारी नहीं लगेगी। इस प्रकार अर्थ और काम अच्छे हैं, जब धर्म और मोक्ष की मर्यादा में रहे तो। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।