Rajasthan: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कोटा शहर में लगातार छात्रों की आत्महत्या के मामलों में राजस्थान सरकार से जवाब तलब किया है और इस स्थिति को काफी ‘गंभीर’ बताया. जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खण्ड़पीठ ने सख्त लहजे में सरकार से पूछा है कि उसने इस मामले को लेकर अब तक क्या किया है. उन्होंने कहा कि एक ही शहर में सिर्फ पांच महीने में 14 छात्रों ने सुसाइड कर लिया है। कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि इसे हल्के में न लिया जाए, नही तो कोर्ट सख्त रुख भी अपना सकता है
राज्य में एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन
जस्टिस पारदीवाला ने राजस्थान राज्य का पक्ष रख रहे वकील से पूछा, ‘आप एक राज्य के रूप में क्या कर रहे हैं? ये बच्चे आत्महत्या क्यों कर रहे हैं और केवल कोटा में ही क्यों? क्या आपने एक राज्य के रूप में इस पर विचार नहीं किया?’ वकील ने कहा कि आत्महत्या के मामलों की जांच के लिए राज्य में एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया था.
प्राथमिकी दर्ज करने में लगे चार दिन
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि फैसले के अनुरूप ऐसे मामलों में प्राथमिकी का तुरंत दायर किया जाना आवश्यक है. बेंच ने कोर्ट में मौजूद संबंधित पुलिस अधिकारी से पूछा, ‘आपको प्राथमिकी दर्ज करने में चार दिन क्यों लगे?’ अधिकारी ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच चल रही है. पीठ ने उनसे कहा, ‘आप कानून के अनुसार जांच जारी रखें.’ यह बात रिकॉर्ड में आई कि आईआईटी खड़गपुर के अधिकारियों ने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद आत्महत्या के बारे में उसे पता चला. हालांकि, पीठ आईआईटी खड़गपुर के वकील और पुलिस अधिकारी के स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं थी.
पीठ ने सही दिशा में जांच करने के दिए आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हम इस मामले में बहुत सख्त रुख अपना सकते थे.’ पीठ ने कहा कि जांच सही दिशा में तेजी से की जानी चाहिए. कोटा आत्महत्या मामले में पीठ ने प्राथमिकी दर्ज न करने को गलत ठहराया. राज्य के वकील ने कहा कि मामले की जांच जारी है और एसआईटी को राज्य में आत्महत्या के मामलों की जानकारी है. पीठ ने वकील से पूछा, ‘कोटा में अब तक कितने छात्रों की मौत हुई है?’ वकील ने बताया कि 14 मौते हुईं तो कोर्ट ने कहा, ‘ये छात्र क्यों मर रहे हैं?’
पुलिस अधिकारी को स्थिति स्पष्ट करने के लिए किया तलब
बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कार्य बल को समग्र रिपोर्ट देने में समय लगेगा. पीठ ने राजस्थान के वकील से पूछा, ‘आप हमारे फैसले की अवमानना कर रहे हैं. आपने प्राथमिकी क्यों दर्ज नहीं की?’ पीठ ने कहा कि छात्रा संस्थान के आवास में नहीं रह रही थी. उसने नवंबर 2024 में यह छोड़ दिया और अपने माता-पिता के साथ रहने लगी. पीठ ने कोटा मामले में संबंधित पुलिस अधिकारी को 14 जुलाई को स्थिति स्पष्ट करने के लिए तलब किया है.
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