वाराणसी। वाराणसी के अन्नपूर्णा मठ मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी(67) महाराज को रविवार को भू समाधि दी गई। देर रात अखाड़े के संतों ने भू समाधि दिलाने का निर्णय लिया। भोर में सुबह पांच बजे उनके पार्थिव शरीर का अभिषेक कराया गया। इसके बाद रुद्राक्ष तुलसी और फूलों की माला अर्पित की गई। महंत के पार्थिव शरीर को सिंहासन पर विराजमान कराकर आरती उतारी गई।
उपमहंत शंकर पुरी की अगुवाई में महंत की अंतिम यात्रा मंदिर प्रांगण से आरंभ हुई। मंदिर परिवार के सदस्यों ने कंधे पर महंत का सिंहासन उठाया, और बांस फाटक पहुंचे। वहां से अंतिम यात्रा शिवपुर स्थित ब्रह्मचर्य ऋषिकुल संस्कृत विद्यालय के प्रांगण में पहुंची। वैदिक मंत्रों के बीच महंत को भू समाधि दी गई। इस दौरान सीएम के दूत के रूप में पहुंचे धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी ने श्रद्धांजलि अर्पित की। मौके पर महानिर्वाणी अखाड़े के संत, काशी का संत समाज, प्रमुख मंदिरों के महंत, राजनीतिक पार्टियों के सदस्य और काशी की जनता मौजूद रही।महंत का शनिवार को महमूरगंज स्थित एक निजी चिकित्सालय में निधन हो गया था। उपमहंत शंकर पुरी ने बताया कि महंत रामेश्वर पुरी पिछले 10 दिनों से लखनऊ स्थित मेदांता अस्पताल में वेंटिलेटर पर थे। उनकी हालत चिंताजनक थी। चिकित्सकों ने जब जवाब दे दिया तो शुक्रवार की रात उन्हें मेदांता से लाकर महमूरगंज स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शनिवार की दोपहर 3:30 बजे उन्होंने शरीर त्याग दिया। महंत रामेश्वर पुरी हरिद्वार में कुंभ स्नान के पहले ही कोराना संक्रमित हो गए थे। वहां से नई दिल्ली में इलाज कराने के बाद लखनऊ आ गए थे। इसके बाद ठीक होकर वह अन्नपूर्णा मंदिर लौटे थे। मंदिर प्रबंधक ने बताया कि 2004 में तत्कालीन महंत त्रिभुवन पुरी के निधन के बाद रामेश्वर पुरी को 17 अक्टूबर 2004 में महानिर्वाणी अखाड़े से संबद्ध श्री अन्नपूर्णा मठ मंदिर की महंती दी गई थी। उनके नेतृत्व में काशी अन्नपूर्णा अन्न क्षेत्र ट्रस्ट निरंतर समाज सेवा क्षेत्र में विस्तार कर रहा था। उनके महंत बनने के समय अन्नक्षेत्र के रूप में ट्रस्ट का सिर्फ एक प्रकल्प संचालित था। आज शिक्षा, चिकित्सा, स्वावलंबन, वृद्धजन सेवा समेत तमाम कार्य किए जा रहे हैं।