राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि हमें जीवन में कुछ न कुछ कर्म तो करना ही पड़ता है, क्योंकि कर्म किये बिना हम एक क्षण भी नहीं रह सकते। ऐसा कभी हो ही नहीं सकता कि हम कर्म न कर रहे हों। कुछ न करना भी करना होता है। जैसे हमारे जीवन के लिये दिल का धड़कना अनिवार्य है, सांस का चलना अनिवार्य है, वैसे ही हमारे लिए कर्म करना अनिवार्य है। इसीलिए मनुष्य योनि को कर्म योनि भी कहते हैं। अब सोचने वाली बात यह है कि जब कर्म करना करना ही है तो क्यों न अच्छे कर्म किये जायें। शुभ कर्म किये जायें, पुण्य कर्म किये जायें, ताकि अपना भी भला हो और दूसरों का भी भला हो। दुनियां भर के धर्म शास्त्र और धर्म उपदेशक यही उपदेश देते हैं कि भले काम करो। दूसरों का भी भला करो। जब हम इस मुद्दे पर सोच विचार करेंगे तो यह भी समझ सकेंगे कि भला क्या है, बुरा क्या है। जब यह समझ में आ जाये कि भला क्या है, बुरा क्या है, तो भला करना और बुरा न करना अपना कर्तव्य बना लें, अपना आचरण बना लें,क्योंकि इसका पालन करके ही हम जीवन को स्वस्थ और सुखी बना सकेंगे। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)