गोरखपुर मेडिकल कॉलेज कर रहा है डेल्टा वैरिएंट वाले मरीजों की पहचान

गोरखपुर। आईजीआईबी (इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बायोलॉजी) की ओर से 30 मरीजों का जीनोम सिक्वेसिंग की जांच सात जुलाई को जारी की गई है। इनमें 27 मरीजों में डेल्टा वैरिएंट की पुष्टि हुई है। इन मरीजों का मिलान बीआरडी मेडिकल कॉलेज जुट गया गया है, क्योंकि सारे मरीजों का इलाज बीआरडी मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में चल रहा था। कॉलेज प्रशासन अब यह जानने में जुट गया है कि डेल्टा वैरिएंट में कितने मरीजों की मौत हुई है और कितने मरीज स्वस्थ हुए हैं। मालूम हो कि कोरोना की दूसरी लहर में डेल्टा प्लस के साथ कप्पा वैरिएंट ने तबाही मचाई थी। कप्पा वैरिएंट जिस मरीज में मिला था उसकी मौत जून में हो चुकी है। वह संतकबीरनगर जिले के उत्तरपाती गांव का रहने वाला था। उसकी उम्र 65 साल थी। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में इसकी जानकारी संबंधित जिले के सीएमओ को दे दी है। इसके बाद से विभाग उस मरीज की ट्रैवेल हिस्ट्री से लेकर उसके परिवार के सदस्यों की जानकारी इकट्ठा करने में जुट गया है। जानकारी के मुताबिक जिले में कोरोना के नए स्वरुप डेल्टा प्लस के एक मरीज की मौत भी हो चुकी है, जबकि दूसरी एमबीबीएस की छात्रा स्वस्थ हो चुकी है। इन सब के बीच कप्पा वैरिएंट एंट्री ने विभाग को मुश्किलों में डाल दिया है। क्योंकि यह डेल्टा वायरस का ही बदला स्वरूप है, जो डेल्टा प्लस की तरह खतरनाक है। डेल्टा प्लस को भारत में वैरिएंट ऑफ कंर्सन घोषित किया गया है, जबकि कप्पा वैरिएंट को डब्ल्यूएचओ, वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट घोषित कर चुका है। इसकी वजह से शासन ने सभी मरीजों की पूरी जानकारी तलब की है। साथ ही संबंधित जिले के सीएमओ को यह निर्देश भी दिया गया है कि मरीजों की ट्रैवेल हिस्ट्री से लेकर उनके परिवार के सभी सदस्यों की पूरी जानकारी इकट्ठा की जाए। डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि भारत में अब तक डेल्टा प्लस वैरिएंट को सबसे खतरनाक माना गया है। इस वैरिएंट के मरीजों की मृत्यु दर 60 फीसदी के करीब है, जो अब तक भारत में सबसे अधिक है। इसी वैरिएंट ने विदेशों में भी जमकर तबाही मचाई थी। डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि कप्पा वैरिएंट बी.1.617 वंश के म्यूटेशन से ही पैदा हुआ है, जो डेल्टा वैरिएंट के लिए भी जिम्मेदार है। बी.1.617 के एक दर्जन से ज्यादा म्यूटेशन हो चुके हैं, जिनमें से दो खास हैं- ई484क्यू और एल452आर, इसलिए इस वैरिएंट को डबल म्यूटेंट भी कहा जाता है। जैसे-जैसे यह विकसित होता गया बी.1.617 की नई वंशावली तैयार होगी। बी.1.617.2 को डेल्टा वैरिएंट के नाम से जाना जा रहा है, जो कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इसके अन्य वंश बी.1.617.1 को कप्पा कहा जाता है।

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