अलग-अलग बनवाएं वाराणसी में पारंपरिक और विद्युत शवदाह गृह: स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती

वाराणसी। गंगा महासभा ने पारंपरिक और विद्युत शवदाह गृह का अलग-अलग निर्माण कराने की मांग की है। महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने डोम समाज और प्रशासनिक टकराव को रोकने के लिए जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से यह मांग की है। रविवार को जलशक्ति मंत्रालय को लिखे गए पत्र में स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने लिखा है कि एक ही स्थान पर विद्युत शवदाह गृह और पारंपरिक शवदाह गृह असफल होते हैं। महामारी की स्थिति में लंबी कतारों से अफवाहों को बल मिलता है। कोरोना महामारी के दौरान गंगा किनारे शवों का बड़ी मात्रा में पाया जाना चर्चा का विषय रहा। सगे-संबंधियों द्वारा परिजनों के शव की अंत्येष्टि न कर उसे गंगा में बहा देना मानवीय रिश्तों को तार-तार करता दिखा। शवों को जलाए जाने वाली लकड़ी के काम में बड़े-बड़े माफिया व गुंडे लगे हैं। अनवरत विद्युत शवदाह गृह चलने से वह शवदाह गृह को बाधित करने का प्रयास करते हैं। आपसे आग्रह है कि परंपरागत श्मशान स्थल से हटकर ही विद्युत शवदाह गृह बनें। विद्युत शवदाह गंगा के तट पर ऐसे स्थान पर हों कि लोग किसी भी मौसम मे आवागमन कर सकें। बिना किसी की मदद के सीधे शव को भट्टी पर ही उतारें। इस कवायद से शव की अंत्येष्टि के दौरान लोगों की भीड़, श्रम, समय और धन की बचत होगी।

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