राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि बुद्ध शिष्यों के साथ विराजमान थे। बाहर खड़ा एक व्यक्ति गुस्से से बोला कि आज मुझे सभा में बैठने की अनुमति क्यों नहीं दी गई। बुद्ध ध्यान मग्न रहे। उस व्यक्ति ने चिल्लाकर फिर वही प्रश्न किया। एक शिष्य ने कहा कि भगवन् बाहर खड़े उस शिष्य को अंदर आने की अनुमति दीजिये। बुद्ध ने नेत्र खोले और बोले- नहीं वह अछूत है। सभी शिष्य आश्चर्य से बुद्ध को देखने लगे, भगवन् आप तो जात-पात का भेद नहीं मानते, फिर वह अछूत कैसे, बुद्ध ने कहा कि आज वह क्रोध में आया है। क्रोध से एकाग्रता भंग होती है। क्रोध मानसिक हिंसा है, किसी भी कारण क्रोध करने वाला अछूत है। विचार सूक्ष्म रूप से अंदर रहते हैं। भगवान् का भक्त श्रीगंगा जी की तरह पवित्र है। विधिपूर्वक यात्रा करने से ही उसका पुण्य मिलता है। यात्रा पर जाने से पूर्व यह प्रतिज्ञाएं करनी चाहिए। आज से मैं ब्रह्मचर्य का पालन करूंगा। आज से मैं क्रोध नहीं करूंगा। आज से मैं वृथा भाषण नहीं करूंगा। बिधि पूर्वक व्रत करने से पाप नष्ट होते हैं। विधि में दो नियमों का ध्यान रखो। ब्रह्मचर्य का पालन करो तथा दूसरों का कुछ खाओ नहीं। पाँच करोड़ जप करने वाले को ज्ञान मिलता है।तेरह करोड़ जप करने से जीव और ईश्वर का मिलन होता हैं। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर
जिला-अजमेर (राजस्थान)।