गोरखपुर। गणेश चतुर्थी का पर्व 27 जून रविवार को मनाया जा रहा है। हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने में दो चतुर्थी पड़ती है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रख विधि विधान से प्रथम पूज्य भगवान गणेश का पूजन-अर्चन कर उन्हें प्रसन्न करते हैं। पंडित अवधेश मिश्रा के अनुसार हिंदू संस्कृति में किसी भी कार्य की सफलता के लिए सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। गणेश के पूजन से भक्तों को सुख, समृद्धि और यश प्राप्ति होती है। वह सभी संकट से दूर करते हैं। मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी का व्रत करने से या फिर इस दिन गणपति की पूजा-अर्चना करने से सभी बिगड़े कार्य बन जाते हैं। साथ ही भगवान गणेश संकटों को दूर करते हैं। पंडित देवेंद्र प्रताप मिश्र के अनुसार, इस दिन पूजन से पूर्व नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर पवित्र आसन पर बैठें। फिर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजन सामग्री पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि एकत्रित कर क्रमश: भगवान गणेश की पूजा करें। उन्हें दूर्वा (पूजा करने वाली घास) जरूर अर्पित करें। मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। पूजा के उपरांत सभी देवी-देवताओं का स्मरण करें। पूजा के अंत में गणेश जी की आरती करें। फिर प्रसाद का वितरण करें। अगले दिन दान-पुण्य कर व्रत का पारण करें।