गोरखपुर। एक बार सभी टीबी मरीजों की जियो टैगिंग हो जाएगी तो उन्हें मिलने वाली सेवा में और भी पारदर्शिता आ जाएगी। टीबी मरीज के घर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचने की गारंटी मिलेगी और सटीक पर्यवेक्षण हो सकेगा कि स्वास्थ्यकर्मी उनके घर पहुंचे या नहीं। इतना ही नहीं टीबी बहुल क्षेत्रों में प्लानिंग कर टीबी उन्मूलन अभियान चलाने में भी यह व्यवस्था कारगर होगी। यह बातें जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ रामेश्वर मिश्र ने कहीं। उन्होंने बताया कि जिले में तीन जुलाई तक सरकारी और निजी क्षेत्र के कुल 47 फीसदी मरीजों की जियो टैगिंग पूरी की जा चुकी है और भी मरीजों की टैगिंग हुई है, जिनका कंन्फर्मेशन टैगिंग संबंधित केंद्रीय इकाई से प्रक्रिया में है। शासन से वर्ष 2019, 2020 और 2021 में खोजे गए टीबी के सक्रिय मरीजों के जियो टैगिंग का दिशा-निर्देश मिला था। जिला क्षय उन्मूलन कार्यक्रम से जुड़े जिला कार्यक्रम समन्वयक धर्मवीर सिंह और पब्लिक प्राइवेट मिक्स कोऑर्डिनेटर अभय नारायण मिश्र की देखरेख में ब्लॉक स्तरीय टीम इस काम में लगाई गई हैं। डीटीओ ने बताया कि तीन वर्षों में खोजे गए निजी क्षेत्र के कुल 5366 टीबी मरीज और सरकारी क्षेत्र के 5108 टीबी मरीजों के टैगिंग का लक्ष्य निर्धारित है। इसके सापेक्ष तीन जुलाई तक 47 फीसदी लक्ष्य प्राप्त किया जा चुका है। उन्होंने टीबी मरीजों और उनके परिजनों से अपील की है कि जब भी कोई स्वास्थ्यकर्मी जियो टैगिंग की प्रक्रिया के लिए उनके घर पहुंचे तो उसका पूरा सहयोग करें।